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बुधवार, 25 सितंबर 2019

ईसाई गीत | सिर्फ़ वही प्रवेश करेंगे अंतिम विश्राम में जो हो चुके हैं पवित्र

ईसाई गीत | सिर्फ़ वही प्रवेश करेंगे अंतिम विश्राम में जो हो चुके हैं पवित्र

उतरी है आदम हव्वा से, लेकिन भविष्य की मानव जाति, न होगी अधीन शैतान के अब, होगा उनका उद्धार और होंगे वे शुद्ध। ये मानव जाति, गुज़र चुकी है दंड से, ये मानव जाति, की जा चुकी है पवित्र। ये अलग हैं उस प्राचीन वंश से, आदम हव्वा के प्राचीन वंश से, ये अलग हैं उस प्राचीन वंश से, आदम हव्वा के प्राचीन वंश से, इतने अलग कि मानो है एक, बिल्कुल नई जाति। ये होंगे उनमें से जिन्हें किया है शैतान ने भ्रष्ट, अटल होंगे परमेश्वर के अंतिम निर्णय में, ये है वो अंतिम समूह, जो हैं परमेश्वर के संग, कर सकता है प्रवेश अंतिम विश्राम में। अंतिम दिनों के दंड में, शुद्धिकरण की क्रिया में, जो रहेगा अटल और अचल, वो होंगे प्रवेश अंतिम विश्राम में। ये मानव जाति, गुज़र चुकी है दंड से, ये मानव जाति, की जा चुकी है पवित्र। शुद्धिकरण की यही अंतिम क्रिया है, जिसके ज़रिए विश्राम में प्रवेश करते लोग, हो जाएंगे आज़ाद शैतान की शक्ति से, और परमेश्वर करेगा उनको प्राप्त। वो करेंगे प्रवेश अंतिम विश्राम में। वो करेंगे प्रवेश अंतिम विश्राम में, हो जाएंगे आज़ाद शैतान की शक्ति से, वो प्रवेश करेंगे अंतिम विश्राम में। वो करेंगे प्रवेश अंतिम विश्राम में। "वचन देह में प्रकट होता है" से

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शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

Hindi Gospel Song | परमेश्वर के प्रबंधन का उद्देश्य मानव जाति को बचाना है

Hindi Gospel Song | परमेश्वर के प्रबंधन का उद्देश्य मानव जाति को बचाना है

परमेश्वर के प्रबंधन की एक-एक चीज़ में दिखता है। परमेश्वर के प्रबंधन की एक-एक चीज़ में दिखता है उसका प्रेम और उसकी दया। उसका प्रेम और उसकी दया। परमेश्वर के प्रबंधन की एक-एक चीज़ में दिखता है उसका प्रेम और उसकी दया। उसका प्रेम और उसकी दया। मनुष्य को उसकी दयालु मंशा का एहसास हो न हो, वो बिना थके और रुके अपना कार्य करता रहता है। मनुष्य को उसके प्रबंधन की समझ हो न हो, परमेश्वर का कार्य हरेक को मदद और लाभ पहुँचाता रहता है। परमेश्वर के प्रबंधन की एक-एक चीज़ में दिखता है उसका प्रेम और उसकी दया। उसका प्रेम और उसकी दया। शायद तुम्हें परमेश्वर के प्रेम और उसके दिए जीवन का एहसास न हो, लेकिन अगर तुम उस पर अपना विश्वास रखो, अगर तुम सत्य की तलाश में अटल रहो, एक दिन तुम ज़रूर देख पाओगे परमेश्वर की मुस्कुराहट। क्योंकि अपने प्रबंधन में परमेश्वर का उद्देश्य है कि वो शैतान के चंगुल से मानवता को निकाले, और उन्हें न त्यागे जिन्हें शैतान ने दूषित किया, और उन्हें न त्यागे जो उसकी मंशा के विपरीत हैं। परमेश्वर के प्रबंधन की एक-एक चीज़ में दिखता है उसका प्रेम और उसकी दया। उसका प्रेम और उसकी दया। "वचन देह में प्रकट होता है" से

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रविवार, 15 सितंबर 2019

Hindi Christian Song | प्रभु हर युग में नए कार्य करते हैं | God's Work Is Always New and Never Old

Hindi Christian Song | प्रभु हर युग में नए कार्य करते हैं | God's Work Is Always New and Never Old

प्रभु की प्रज्ञा नहीं बदलती, प्रभु का विस्मय नहीं बदलता, उनकी धार्मिकता नहीं बदलती, उनका वैभव नहीं बदलता, प्रभु का सत्व नहीं बदलता, उनमें जो है और वे जो हैं कभी ना बदलेगा। और उनक कार्य अग्रसर है और गहराता जा रहा प्रभु हैं सदा नए, कभी न पुराने, नया नाम, नया काम हर युग में; नया संकल्प, नया स्वभाव। मानव देख सका ना यह स्वभाव, तो प्रभु अब भी होते सलीब पर और उन्हीं से सीमांकित! प्रभु की प्रज्ञा नहीं बदलती, प्रभु का विस्मय नहीं बदलता, उनकी धार्मिकता नहीं बदलती, उनका वैभव नहीं बदलता, प्रभु का सत्व नहीं बदलता, उनमें जो है और वे जो हैं कभी ना बदलेगा। प्रभु का कार्य नया, कभी न पुराना, पर वे कभी ना हैं बदलते। कर नहीं सकते बखान आप जड़ भाषा में ६००० वर्षों के कार्य प्रभु के। प्रभु ना सरल जैसा तू समझे, काम चलता है उनका युग-युग से। नाम उनका हुआ जेहोवा से जीसस। देखो काम उनका कितना बदला युगों में! प्रभु की प्रज्ञा नहीं बदलती, प्रभु का विस्मय नहीं बदलता, उनकी धार्मिकता नहीं बदलती, उनका वैभव नहीं बदलता, प्रभु का सत्व नहीं बदलता, उनमें जो है और वे जो हैं कभी ना बदलेगा। इतिहास अग्रसर है आगे ही आगे। प्रभु के काम अग्रसर हैं समापन की ओर, छ: हज़ार वर्षों की योजना के। पर हैं अभी और नए काम करने, हर दिन और हर साल। नयी राहें, नये ज़माने, नयी चीज़ें, और बड़े काम। प्रभु नहीं रुके पुरानी राहों में; नए काम, अविरत, सदा ही चलते। प्रभु की प्रज्ञा नहीं बदलती, प्रभु का विस्मय नहीं बदलता, उनकी धार्मिकता नहीं बदलती, उनका वैभव नहीं बदलता, प्रभु का सत्व नहीं बदलता, उनमें जो है और वे जो हैं कभी ना बदलेगा। सदा सर्वदा! (नया काम!) चलता है! (नया काम!) अग्रसर है! (नया काम!) हर युग में! प्रभु करते हैं अपना नया काम! "वचन देह में प्रकट होता है" से

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मंगलवार, 10 सितंबर 2019

Hindi Christian Song | परमेश्वर स्वयं के लिए इंसान की सच्ची आस्था और प्रेम पाने की करता है आशा

Hindi Christian Song | परमेश्वर स्वयं के लिए इंसान की सच्ची आस्था और प्रेम पाने की करता है आशा


परमेश्वर करता है आशा, जब तुम समझो, उसके सच्चे रूप को, तुम हो जाओगे उनके और करीब; सच्चे दिल से समझोगे उनके प्रेम को, इंसानियत के लिए उनकी चिंता की करोगे सच्ची तारीफ़; अपने दिल को सौंप दोगे उनके हाथ में, न रहेगा शंका न होगा कोई संदेह उनके बारे में, इंसान के लिए वो सब कुछ करते हैं, लेकिन चुपके से, उनकी सच्चाई, निष्ठा और प्यार मिलता है इंसान को चुपके से। वह अपने किये पर कभी नहीं पछताता है, न इंसान से मांगता है नेकी का बदला और न करता है उनसे कुछ मिलने की आशा। वह जो कुछ भी करता उसमें सच्ची आस्था और प्यार ही उसकी इकलौती मुराद है। जब तुम्हारा दिल सच में पहचानता है परमेश्वर का स्वभाव और उसके सार के लिए तुममें हो बड़ी सराहना, तुम महसूस करोगे परमेश्वर को बिल्कुल अपने करीब, तुम महसूस करोगे परमेश्वर को बिल्कुल अपने करीब। ये ही है सच्चाई! "वचन देह में प्रकट होता है से आगे जारी" से

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गुरुवार, 5 सितंबर 2019

Hindi Christian Song | ईश्वर का प्रेम मानव के लिए कितना महत्त्वपूर्ण है | The Meticulous Love of God

Hindi Christian Song | ईश्वर का प्रेम मानव के लिए कितना महत्त्वपूर्ण है | The Meticulous Love of God

ईश्वर का प्रेम मानव के लिए कितना महत्त्वपूर्ण है ये छवि है बाइबिल में बयानी, आदम को आज्ञा प्रभु की, जो है करुण-और-रूमानी, जबकि इस तस्वीर में है, केवल प्रभु और इंसान, दोनों में है जो रिश्ता वो, है इतना करीब कि, हमको होता है अचरज, हम ताज्जुब और हैरान। प्रभु के प्रेम का प्लावन, मानव के लिए बिन-बंधन, प्रभु-प्रेम उसके चारों ओर, मानव पावन और निर्दोष, उसे बंधन में, बिन बांधे ही, रखे प्रभु आनंद विभोर। ईश्वर ही उसका पालक है, और वह है छत्रछाया में उनकी, उसके सारे कर्म और उसकी वाणी, ईश्वर से हैँ जुड़े, होंगे ना जुदा।

रविवार, 1 सितंबर 2019

Hindi Gospel Song | परमेश्वर के वचनों का एक भजन | ईश्वर का संरक्षण सदा मानवजाति के लिए है


Hindi Gospel Song | परमेश्वर के वचनों का एक भजन | ईश्वर का संरक्षण सदा मानवजाति के लिए है

देखते हैं ईश्वर अपनी सृष्टि, हैं देखते, दिन-प्रतिदिन, निहारते। विनय से छिप कर वे, मानव-जीवन परखते, इंसाँ के हर काम देखते। कौन हैं जो सच में प्रभु को समर्पित हुए? किसी ने किया कभी सच्चाई की साधना? किसने माना प्रभु को ह्रदय से, वादे निभाए और, कर्तव्य पूरे किये? किसने बसाया प्रभु को कभी अपने ह्रदय में? किसने प्रभु को अपने प्राणों सा प्यारा माना? किसने देखा उनके दिव्य पूर्ण रूप को, और ईश्वर को छूना चाहा? जब डूबने लगता है मानव, बचाते उनको परमेश्वर, जब जीवन का नहीं कर पाते सामना, उठाते उनको परमेश्वर और देते हैं हौंसला फिर जीने के लिए, उन्हें देते हैं दूसरा मौका।

मंगलवार, 27 अगस्त 2019

Hindi Gospel Song | परमेश्वर के वचनों का एक भजन | वह मेरा परमेश्वर है

Hindi Gospel Song | परमेश्वर के वचनों का एक भजन | वह मेरा परमेश्वर है

की बात न कोई जाने हमारे भाव और फितरत उसकी हथेली की तरह न कोई जाना विद्रोही तेवर या इंसान की भटकी डगर को कोई बोल न सके या समझा सके हमको जन्नत के प्रभु की तरफ से हमको जन्नत के प्रभु की तरफ से नहीं है किसी और को हासिल प्रभु का विवेक और अधिकार नहीं किसी और को हासिल गरिमा परमेश्वर की परमेश्वर का स्वाभाव और क्या पास उनके औ र वो क्या है सम्पूर्णता से उत्पन्न है उनके शरीर से नहीं और कोई है उसके जैसा जो हमको उजाला ला कर दे नहीं और कोई उसके अलावा जो सही राह दिखलाए हमको नहीं और कोई जो उजागर करे रहस्य जो प्रभु ने न किये जो राज़ प्रभु ने उजागर न किये सृष्टि के निर्माण से अब तक नहीं और कोई जो हमको छुड़ाए शैतान की ग़ुलामी से हमको हमारी फितरत के नैतिक पतन से नहीं और कोई जो हमको छुड़ाए शैतान की ग़ुलामी से और हमको हमार उस दोषी स्वाभाव से वो भ्रष्ट स्वभाव हमारा वो भ्रस्ट स्वभाव हमारा। बस उसी पल से ये बुद्धि सचेत हुई और हमारी रूह भी फिर से जीवित हुई मामूली सा इंसान ये अलप सा इंसान है जो वो रहता हमारे ही बीच, जिसे हमने नकार इतने समय से वो है कौन?क्या ये इंसान वही है जिसे चाहते थे हम दिन रात जिसका कब से था इंतज़ार प्रभु येशु? है ये वही है! वही है! हमारा प्रभु ही तो है! वही सत्य है वही राह है और ये ज़िन्दगी है ये वही तो है ये सच्चा प्रभु ही तो है! वही सच वही राह और ये ज़िन्दगी है ये वही तो हमारा प्रभु ही तो है! वही सच है वही राह है वही ज़िन्दगी वही राह है, वही ज़िन्दगी! "वचन देह में प्रकट होता है" से अनुशंसित:Hindi Christian Song|

शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

Hindi Gospel Song | परमेश्वर के वचनों का एक भजन | है मसीह अंतिम दिनों के नित्य जीवन लेके आये

Hindi Gospel Song | परमेश्वर के वचनों का एक भजन | है मसीह अंतिम दिनों के नित्य जीवन लेके आये


परमेश्वर ख़ुद जीवन और सच्चाई है, उनका जीवन और सच एक-दूजे से अलग नहीं। जिसने उनका सच ना पाया, जीवन ना पाया। बिन उनकी रहनुमाई के, बिन उनकी सच्चाई के, बस ख़त है, मत है और मानव के पास उसकी मौत है। प्रभु का जीवन और सच्चाई गुंथे हुए हैं, मौजूद सदा। नहीं मिलेगा जीवन-पोषण, गर सच का आधार तुम्हें मालूम नहीं। अंत समय के वो मसीह जीवन लाये, जो सदा रहे वो सच लाये। जीवन पाना गर इंसां को, जीवन पाना गर इंसां को, सच के पथ पर चलना होगा। इसी राह पर प्रभु मिलेंगे और मिले अनुमोदन उनका। गर भूल गये जीवन-पथ को, जो अंत समय लाये मसीह तो समझो तुमने त्याग दिया, यीशु का वो अनुमोदन भी और दूर कर लिया तुमने ख़ुद को जन्नत से। बन बैठे तारीख़ों के कैदी और कठपुलती तुम।

रविवार, 18 अगस्त 2019

"बाइबल के विषय में" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग एक




1. बहुत सालों से, लोगों के विश्वास का परम्परागत माध्यम (दुनिया के तीन मुख्य धर्मों में से एक, मसीहियत के विषय में) बाइबल पढ़ना ही रहा है; बाइबल से दूर जाना प्रभु में विश्वास नहीं है, बाइबल से दूर जाना एक दुष्ट पंथ और विधर्म है, और यहाँ तक कि जब लोग अन्य पुस्तकों को पढ़ते हैं, तो इन पुस्तकों की बुनियाद, बाइबल की व्याख्या ही होनी चाहिए। कहने का अर्थ है कि, यदि तुम कहते हो कि तुम प्रभु में विश्वास करते हो, तो तुम्हें बाइबल अवश्य पढ़नी चाहिए, तुम्हें बाइबल खानी और पीनी चाहिए, बाइबल के अलावा तुम्हें किसी अन्य पुस्तक की आराधना नहीं करनी चाहिए जिस में बाइबल शामिल नहीं हो। यदि तुम करते हो, तो तुम परमेश्वर के साथ विश्वासघात कर रहे हो। उस समय से जब बाइबल थी, प्रभु के प्रति लोगों का विश्वास बाइबल के प्रति विश्वास रहा है।

बुधवार, 14 अगस्त 2019

"बाइबल के विषय में" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग दो




8. बाइबल को पुराना नियम और नया नियम भी कहते हैं। क्या तुम जानते हो कि "नियम" किसे संदर्भित करता है? "पुराने नियम" में "नियम" इस्राएल के लोगों के साथ बांधी गई परमेश्वर की वाचा से आता है जब उसने मिस्रियों को मार डाला था और इस्राएलियों को फिरौन से बचाया था। हाँ वास्तव में, मेमने का लहू इस वाचा का प्रमाण था जिसे दरवाज़ों की चौखट के ऊपर पोता गया था, जिसके द्वारा परमेश्वर ने मनुष्य के साथ एक वाचा बांधी थी, एक ऐसी वाचा जिसमें कहा गया था कि वे सभी लोग जिनके दरवाज़ों के ऊपर और अगल बगल मेमने का लहू लगा हुआ हो वे इस्राएली हैं, वे परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं, और उन सभी को परमेश्वर के द्वारा बख्श दिया जाएगा (क्योंकि यहोवा उस समय मिस्र के पहिलौठे पुत्रों और भेड़ों और पशुओं के पहिलौठों को मारने ही वाला था)। इस वाचा में दो स्तर के अर्थ हैं।

शनिवार, 10 अगस्त 2019

"जीतने वाले कार्य का भीतरी सत्य" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग एक





1. मनुष्यजाति, जो शैतान के द्वारा अत्यधिक भ्रष्ट कर दी गई है, नहीं जानती है कि एक परमेश्वर भी है और इसने परमेश्वर की आराधना करना भी समाप्त कर दिया है। आरम्भ में, जब आदम और हव्वा को रचा गया था, यहोवा का प्रताप और साक्ष्य सर्वदा उपस्थित था। परन्तु भ्रष्ट होने के पश्चात, मनुष्य ने उस प्रताप और साक्ष्य को खो दिया, क्योंकि सभी ने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया और उसका सम्मान करना पूर्णतया बन्द कर दिया। आज का विजय कार्य उस सम्पूर्ण साक्ष्य और उस सम्पूर्ण प्रताप को पुनः प्राप्त करने, और सभी मनुष्यों से परमेश्वर की आराधना करवाने के लिए है, जिससे सृष्ट वस्तुओं में साक्ष्य हो। कार्य के इस पड़ाव में यही किए जाने की आवश्यकता है।

मंगलवार, 6 अगस्त 2019

"जीतने वाले कार्य का भीतरी सत्य" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग दो




9. आज तुम्हें मालूम होना चाहिये कि तुम पर विजय कैसे हो, और लोग खुद पर विजय उपरांत अपना आचरण कैसा रखते हैं। तुम यह कह सकते हो कि तुम पर विजय पा ली गयी है, पर क्या तुम मृत्युपर्यंत आज्ञाकारी रहोगे? संभावनाओं की परवाह किए बगैर तुम में पूरे अंत तक अनुसरण करने की क्षमता होनी चाहिए और तुम्हें किसी भी परिस्थिति में परमेश्वर पर विश्वास नहीं खोना चाहिए। अतंतः तुम्हें गवाही के दो पक्ष प्राप्त करने हैं: अय्यूब की गवाही-मृत्यु तक आज्ञाकारिता और पतरस की गवाही - परमेश्वर का सर्वोच्च प्रेम। एक मामले में तुम्हें अय्यूब की तरह होना चाहिए, उसके पास कुछ भी सांसारिक संसाधन नहीं थे और शारीरिक पीड़ा से वह घिरा हुआ था, तब भी उसने यहोवा का नाम नहीं त्यागा। यह अय्यूब की गवाही थी। पतरस ने मृत्यु तक परमेश्वर से प्रेम रखा।

शनिवार, 3 अगस्त 2019

"जीतने वाले कार्य का भीतरी सत्य" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग तीन




18. जब परमेश्वर ने अपने दो चरणों का कार्य इज़राइल में किया, तो इज़राइलियों और गैर-यहूदी जातियों ने समान रूप से यह धारणा अपना ली: यद्यपि यह सत्य है कि परमेश्वर ने सभी चीज़ें बनाई हैं, वह केवल इज़राइलियों का परमेश्वर बनने को तैयार है, गैर-यहूदियों का परमेश्वर नहीं। इज़राइली निम्नलिखित पर विश्वास करते हैं: परमेश्वर केवल हमारा परमेश्वर हो सकता है, तुम सभी गैर-यहूदियों का परमेश्वर नहीं, और क्योंकि तुम लोग यहोवा को नहीं मानते हो, यहोवा—हमारा परमेश्वर—तुम लोगों से घृणा करता है। इसके अतिरिक्त, उन यहुदियों का यह भी मानना है: प्रभु यीशु ने हम यहूदियों की छवि ग्रहण की थी और यह एक ऐसा परमेश्वर है जिस पर यहूदियों का चिन्ह उपस्थित है। हमारे बीच ही परमेश्वर कार्य करता है। परमेश्वर की छवि और हमारी छवि समान हैं; हमारी छवि परमेश्वर के करीब है।

मंगलवार, 30 जुलाई 2019

परमेश्वर के वचन के द्वारा सब कुछ प्राप्त हो जाता है भाग दो




परमेश्वर द्वारा इस युग में बोले गये वचन, व्यवस्था के युग के दौरान बोले गए वचनों से भिन्न हैं, और इसलिए, वे अनुग्रह के युग के दौरान बोले गये वचनों से भी भिन्न हैं। अनुग्रह के युग में, परमेश्वर ने वचन का कार्य नहीं किया, किन्तु समस्त मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए केवल सलीब पर चढ़ने का वर्णन किया। बाइबिल में केवल यह वर्णन किया गया है कि यीशु को क्यों सलीब पर चढ़ाया जाना था, और सलीब पर उसने कौन-कौन सी तकलीफें सही, और कैसे मनुष्य को परमेश्वर के लिये सलीब पर चढ़ना जाना चाहिए। उस युग के दौरान, परमेश्वर द्वारा किया गया समस्त कार्य सलीब पर चढ़ने के आस-पास केंद्रित था। राज्य के युग के दौरान, देहधारी परमेश्वर ने उन सभी लोगों को जीतने के लिए वचन बोले जिन्होंने उस पर विश्वास किया। यह "वचन का देह में प्रकट होना" है; परमेश्वर इस कार्य को करने के लिए अंत के दिनों में आया है, जिसका अर्थ है कि वह वचन का देह में प्रकट होना के वास्तविक महत्व को कार्यान्वित करने के लिए आया। वह केवल वचन बोलता है, और तथ्यों का आगमन शायद ही कभी होता है। वचन का देह में प्रकट होने का यही मूल सार है, और जब देहधारी परमेश्वर अपने वचनों को बोलता है, तो यही वचन का देह में प्रकट होना है, और वचन का देह में आना है। "आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था, और वचन देहधारी हुआ।" यह (वचन के देह में प्रकट होने का कार्य) वह कार्य है, जिसे परमेश्वर अंत के दिनों में संपन्न करेगा, और उसकी संपूर्ण प्रबंधन योजना का अंतिम अध्याय है, और इसलिए परमेश्वर को पृथ्वी पर आ कर अपने वचनों को देह में प्रकट करना ही है। वह जो आज किया जाता है, वह जिसे भविष्य में किया जायेगा, वह जिसे परमेश्वर के द्वारा संपन्न किया जाएगा, मनुष्य का अंतिम गंतव्य, वे जिन्हें बचाया जाएगा, वे जिन्हें नष्ट किया जाएगा, इत्यादि, इत्यादि—यह कार्य जिसे अंत में प्राप्त किया जाना चाहिए, यह सब स्पष्ट रूप में कहा गया है, और यह सब वचन का देह में प्रकट होना के वास्तविक महत्व को सम्पन्न करने के लिए है। प्रशासनिक आदेश और संविधान जिन्हें पहले जारी किया गया था, वे जिन्हें नष्ट किया जाएगा, वे जो विश्राम में प्रवेश करेंगे—ये सभी वचन अवश्य पूरे होने चाहिए। यही वह कार्य है जिसे देहधारी परमेश्वर द्वारा अंत के दिनों में विशेष रूप संपन्न किया जाएगा। वह लोगों को समझाता है कि परमेश्वर द्वारा पूर्व-नियत लोग कहाँ बैठते हैं और जो परमेश्वर द्वारा पूर्वनियत नहीं है वे कहाँ बैठते हैं, उसके लोगों और पुत्रों का वर्गीकरण कैसे किया जाएगा, इस्राएल का क्या होगा, मिस्र का क्या होगा—भविष्य में, इन वचनों में से प्रत्येक वचन सम्पन्न होगा। परमेश्वर के कार्य के कदम तेजी से बढ़ रहे हैं। परमेश्वर मनुष्यों पर यह प्रकट करने के लिए वचनों को साधन के रूप में उपयोग करता है कि हर युग में क्या किया जाना है, अंत के दिनों के देहधारी परमेश्वर के द्वारा क्या किया जाना है, और उसकी सेवकाई जो की जानी है, और ये सब वचन, वचन का देह में प्रकट होना के वास्तविक महत्व को संपन्न करने के उद्देश्य से हैं।
मैंने पहले कहा है कि "वे सब जो संकेतों और चमत्कारों को देखने की कोशिश करते हैं त्याग दिये जाएँगे; ये वे लोग नहीं हैं जो पूर्ण बनाए जाएँगे।" मैंने बहुत से वचन कहे हैं, फिर भी तुम्हें इस कार्य का लेशमात्र भी ज्ञान नहीं है, और, इस स्तर तक आकर, तुम अभी भी संकेतों और चमत्कारों के बारे में पूछते हो। क्या परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास संकेतों और चमत्कारों को देखने की तलाश है, या यह जीवन प्राप्त करने के उद्देश्य से है? यीशु ने भी बहुत से वचन कहे जिन्हें, आज, अभी भी पूरा होना है। क्या तुम कह सकते हो कि यीशु परमेश्वर नहीं है? परमेश्वर ने गवाही दी कि वह मसीहा और परमेश्वर का प्यारा पुत्र है। क्या तुम इस बात से इनकार कर सकते हो? आज, परमेश्वर केवल वचन कहता है, और यदि तुम पूर्णतः जानने में अक्षम हो, तब तुम अडिग नहीं रह सकते हो। क्या तुम उसमें इसलिए विश्वास करते हो क्योंकि वह परमेश्वर है, या फिर तुम इस आधार पर विश्वास करते हो कि क्या उसके वचन पूरे होते हैं या नहीं? क्या तुम संकेतों और चमत्कारों पर विश्वास करते हो, या तुम परमेश्वर पर विश्वास करते हो? आज वह संकेतों और चमत्कारों को नहीं दिखाता है—क्या वह वास्तव में परमेश्वर है? यदि उसके द्वारा कहे गये वचन पूरे नहीं होते हैं, तो क्या वह वास्तव में परमेश्वर है? क्या परमेश्वर का सार इस बात से निर्धारित होता है कि क्या उसके द्वारा कहे गये वचन पूरे होते हैं या नहीं? ऐसा क्यों है कि सदैव कुछ लोग परमेश्वर में विश्वास करने से पहले उसके द्वारा कहे गये वचन के पूरे होने की प्रतीक्षा करते हैं? क्या इसका अर्थ यह नहीं कि वे परमेश्वर को नहीं जानते हैं? वे सब लोग जो ऐसी धारणाओं से सम्पन्न हैं वे लोग हैं जो परमेश्वर का इनकार करते हैं; वे परमेश्वर का आँकलन करने के लिए धारणाओं का उपयोग करते हैं; यदि परमेश्वर के वचन पूरे हो जाते हैं तो वे परमेश्वर में विश्वास करते हैं, और यदि वचन पूरे नहीं होते हैं, तो वे परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं; और वे सदैव संकेतों और चमत्कारों को देखने की तलाश करते रहते हैं। क्या वे आधुनिक समय के फरीसी नहीं हैं? तुम डटे रहने में समर्थ हो या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या तुम वास्तविक परमेश्वर को जानते हो या नहीं—यह अत्यंत महत्वपूर्ण है! परमेश्वर के वचनों की जितनी अधिक वास्तविकता तुममें होती है, परमेश्वर की वास्तविकता का तुम्हारा ज्ञान उतना ही अधिक होता है, और तुम परीक्षाओं के दौरान उतना अधिक अडिग रहने में समर्थ होते हो। तुम जितना अधिक संकेतों और चमत्कारों पर ध्यान देते हो, उतना ही अधिक तुम डटे रहने में असमर्थ होते हो, और उतना ही अधिक परीक्षाओं के बीच तुम गिर जाओगे। संकेत और चमत्कार बुनियाद नहीं हैं; केवल परमेश्वर की वास्तविकता ही जीवन है। कुछ लोग उन प्रभावों को नहीं जानते जो परमेश्वर के कार्य के द्वारा प्राप्त किए जाते हैं। वे परमेश्वर के कार्य के ज्ञान की तलाश नहीं करते हुए, बदहवास होकर अपना दिन व्यतीत करते हैं। उनकी खोज सदैव परमेश्वर से अपनी अभिलाषाओं को पूरा करवाने की होती है, केवल उसके बाद ही वे अपने विश्वास में गंभीर होते हैं। वे कहते हैं कि यदि परमेश्वर के वचन पूरे होंगे, तो वे जीवन की तलाश करेंगे, किन्तु यह कि यदि उसके वचन पूरे नहीं होते हैं, तब कोई संभावना नहीं है कि वे जीवन की तलाश करेंगे। मनुष्य सोचता है कि परमेश्वर पर विश्वास करने का अर्थ संकेतों और चमत्कारों को देखने की तलाश करना, और स्वर्ग तथा तीसरे स्वर्ग तक आरोहण करने की तलाश करना है। ऐसा कोई नहीं है जो कहता हो कि परमेश्वर पर उसका विश्वास वास्तविकता में प्रवेश करने की तलाश करना, जीवन की तलाश करना, परमेश्वर द्वारा जीते जाने की तलाश करना है। ऐसी तलाश का क्या मूल्य है? जो परमेश्वर के ज्ञान और परमेश्वर की संतुष्टि की खोज नहीं करते हैं, ये वे लोग हैं जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं, ये वे लोग हैं जो परमेश्वर की ईशनिंदा करते हैं!
क्या अब तुम लोग समझते हो कि परमेश्वर पर विश्वास करना क्या होता है? क्या संकेतों और चमत्कारों को देखना परमेश्वर पर विश्वास करना है? क्या यह स्वर्ग पर आरोहण करना है? परमेश्वर पर विश्वास आसान नहीं है। आज, इस प्रकार के धार्मिक अभ्यासों को निकाल दिया जाना चाहिए; परमेश्वर के चमत्कारों के प्रकटीकरण का अनुसरण करना, परमेश्वर की चंगाई और उसका दुष्टात्माओं को निकालना, परमेश्वर द्वारा शांति और प्रचुर अनुग्रह प्रदान किए जाने की तलाश करना, और देह के लिए संभावना और आराम प्राप्त करने की तलाश करना—ये धार्मिक अभ्यास हैं, और ऐसे धार्मिक अभ्यास विश्वास के अस्पष्ट और अमूर्त रूप हैं। आज, परमेश्वर में वास्तविक विश्वास क्या है? यह परमेश्वर के वचन को अपने जीवन की वास्तविकता के रूप में स्वीकार करना, और परमेश्वर का सच्चा प्यार प्राप्त करने के लिए परमेश्वर के वचन से परमेश्वर को जानना है। स्पष्ट करने के लिए: यह परमेश्वर में विश्वास है जिसकी वजह से तुम परमरेश्वर की आज्ञा का पालन कर सकते हो, उससे प्रेम कर सकते हो, और उस कर्तव्य को कर सकते हो जो एक परमेश्वर के प्राणी द्वारा की जानी चाहिए। यही परमेश्वर पर विश्वास करने का लक्ष्य है। तुम्हें परमेश्वर के प्रेम का ज्ञान अवश्य प्राप्त करना चाहिए है, या यह ज्ञान अवश्य प्राप्त करना चाहिए कि परमेश्वर कितने आदर के योग्य हैं, कैसे अपने सृजन किए गए प्राणियों में परमेश्वर उद्धार का कार्य करता है और उन्हें पूर्ण बनाता है—यह वह न्यूनतम है जो तुम्हें परमेश्वर पर विश्वास में धारण करना चाहिए। परमेश्वर पर विश्वास मुख्यतः देह के जीवन से परमेश्वर से प्रेम करने वाले जीवन में बदलना है, प्राकृतिकता के भीतर जीवन से परमेश्वर के अस्तित्व के भीतर जीवन में बदलना है, यह शैतान के अधिकार क्षेत्र से बाहर आना और परमेश्वर की देखभाल और सुरक्षा में जीवन जीना है, यह परमेश्वर की आज्ञाकारिता को, और न कि देह की आज्ञाकारिता को, प्राप्त करने में समर्थ होना है, यह परमेश्वर को तुम्हारा संपूर्ण हृदय प्राप्त करने की अनुमति देना है, परमेश्वर को तुम्हें पूर्ण बनाने और तुम्हें भ्रष्ट शैतानिक स्वभाव से मुक्त करने की अनुमति देना है। परमेश्वर में विश्वास मुख्यतः इस वजह से है ताकि परमेश्वर की सामर्थ्य और महिमा तुममें प्रकट हो सके, ताकि तुम परमेश्वर की इच्छा को पूर्ण कर सको, और परमेश्वर की योजना को संपन्न कर सको, और शैतान के सामने परमेश्वर की गवाही दे सको। परमेश्वर पर विश्वास संकेतों और चमत्कारों को देखने के उद्देश्य से नहीं होना चाहिए, न ही यह तुम्हारी व्यक्तिगत देह के वास्ते होना चाहिए। यह परमेश्वर को जानने की तलाश के लिए, और परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने, और पतरस के समान, मृत्यु तक परमेश्वर का आज्ञापालन करने में सक्षम होने के लिए, होना चाहिए। यही वह सब है जो मुख्यतः प्राप्त करने के लिए है। परमेश्वर के वचन को खाना और पीना परमेश्वर को जानने के उद्देश्य से और परमेश्वर को संतुष्ट करने के उद्देश्य से है। परमेश्वर के वचन को खाना और पीना तुम्हें परमेश्वर का और अधिक ज्ञान देता है, केवल उसके बाद ही तुम उसका आज्ञा पालन कर सकते हो। केवल यदि तुम परमेश्वर को जानते हो तभी तुम उससे प्रेम कर सकते हो, और इस लक्ष्य को प्राप्त करना ही वह एकमात्र लक्ष्य है जो परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास में मनुष्य को रखना चाहिए। यदि, परमेश्वर पर तुम्हारे विश्वास में, तुम सदैव संकेतों और चमत्कारों की देखने का प्रयास करते रहते हो, तब परमेश्वर पर तुम्हारे विश्वास का यह दृष्टिकोण गलत है। परमेश्वर पर विश्वास मुख्य रूप में परमेश्वर के वचन को जीवन की वास्तविकता के रूप में स्वीकार करना है। केवल उसके मुख से निकले वचनों को अभ्यास में लाना और उन्हें अपने स्वयं के भीतर पूरा करना, परमेश्वर के लक्ष्य की प्राप्ति है। परमेश्वर पर विश्वास करने में, मनुष्य को परमेश्वर द्वारा पूर्ण किए जाने, परमेश्वर के प्रति समर्पण करने में समर्थ होने की, और परमेश्वर के प्रति संपूर्ण आज्ञाकारिता की तलाश करनी चाहिए। यदि तुम बिना कोई शिकायत किए परमेश्वर का आज्ञापालन कर सकते हो, परमेश्वर की अभिलाषाओं का विचार कर सकते हो, पतरस के समान हैसियत प्राप्त कर सकते हो, और परमेश्वर द्वारा कही गई पतरस की शैली को धारण कर सकते हो, तो यह तब होगा जब तुमने परमेश्वर पर विश्वास में सफलता प्राप्त कर ली है, और यह इस बात की द्योतक होगी कि तुम परमेश्वर द्वारा जीत लिए गए हो।
परमेश्वर अपना कार्य सम्पूर्ण जगत में करता है। वे सब जो उस पर विश्वास करते हैं, उन्हें अवश्य उसके वचनों को स्वीकार करना, और उसके वचनों को खाना और पीना चाहिए; परमेश्वर द्वारा दिखाए गए संकेतों और चमत्कारों को देख कर कोई भी व्यक्ति परमेश्वर द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। युगों के दौरान, परमेश्वर ने मनुष्य को पूर्ण बनाने के लिए सदैव वचन का उपयोग किया है, इसलिये तुम्हें अपना समस्त ध्यान संकेतों और चमत्कारों पर नहीं लगाना चाहिए, बल्कि परमेश्वर द्वारा तुम्हें पूर्ण बनाए जाने की तलाश में रहना चाहिए। पुराने विधान के व्यवस्था के युग में, परमेश्वर ने कुछ वचन कहे, और अनुग्रह के युग में, यीशु ने भी बहुत से वचन कहे। जब यीशु इन बहुत से वचनों को बोल चुके थे, तब बाद में आए प्रेरितों और पैगम्बरों ने लोगों को यीशु द्वारा निर्धारित की गई व्यवस्था और आज्ञाओं के अनुसार अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया, और यीशु के द्वारा कहे गये सिद्धांतों के अनुसार उन्हें अनुभव के लिए प्रेरित किया। अंतिम दिनों का परमेश्वर मनुष्य को पूर्ण बनाने के लिए मुख्यतः वचनों का उपयोग करता है। वह मनुष्यों का दमन करने, या उन्हें मनाने के लिये संकेतों और चमत्कारों का उपयोग नहीं करता है; इससे परमेश्वर की सामर्थ्य को स्पष्ट नहीं किया जा सकता है। यदि परमेश्वर केवल संकेतों और चमत्कारों को दिखाता, तो परमेश्वर की वास्तविकता को प्रकट करना लगभग असंभव होता, और इस तरह मनुष्य को पूर्ण बनाना भी असंभव हो जाता। परमेश्वर संकेतों और चमत्कारों के द्वारा मनुष्य को पूर्ण नहीं बनाता है किन्तु वचन का उपयोग मनुष्यों को सींचने और उनकी चरवाही करने के लिए करता है, जिसके बाद मनुष्य की पूर्ण आज्ञाकारिता प्राप्त होती है और मनुष्य का परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त होता है। यही उसके द्वारा किये गए कार्य और बोले गये वचनों का उद्देश्य है। परमेश्वर मनुष्यों को पूर्ण बनाने के लिए संकेतों एवं चमत्कारों को दिखाने की विधि का उपयोग नहीं करता है—वह मनुष्यों को पूर्ण बनाने के लिए वचनों का उपयोग करता है, और कार्य की कई भिन्न विधियों का उपयोग करता है। चाहे यह शुद्धिकरण, व्यवहार, काँट-छाँट, या वचनों का प्रावधान हो, मनुष्यों को पूर्ण बनाने के लिए, और मनुष्य को परमेश्वर के कार्य, उसकी बुद्धि और चमत्कारिकता का और अधिक ज्ञान देने के लिए परमेश्वर कई भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से बोलता है। अंत के दिनों में जब परमेश्वर युग का समापन करता है, उस समय जब मनुष्य को पूर्ण बना दिया जाता है, तब वह संकेतों और चमत्कारों को देखने के योग्य हो जाएगा। जब तुम्हें परमेश्वर का ज्ञान हो जाता है और तुम इस बात की परवाह किए बिना कि परमेश्वर क्या करता है, उसकी आज्ञापालन करने में सक्षम हो जाते हो, तब तुम संकेतों और चमत्कारों को देखोगे, क्यों कि तुम्हारी परमेश्वर की वास्तविकता के बारे में कोई धारणाएँ नहीं होंगी। अभी इस समय तुम भ्रष्ट हो और परमेश्वर की पूर्ण आज्ञाकारिता में अक्षम हो—क्या तुम संकेतों और चमत्कारों को देखने के लिए अर्ह हो? परमेश्वर संकेतों और चमत्कारों को उस समय दिखाता है जब वह मनुष्यों को दण्ड देता है, और तब भी दिखाता है जब युग बदलता है, और इसके अलावा, जब युग का समापन होता है। जब परमेश्वर का कार्य सामान्य रूप से किया जा रहा हो, तो वह संकेतों और चमत्कारों नहीं दिखाता है। संकेतों और चमत्कारों को दिखाना अत्यधिक आसान है, किन्तु वह परमेश्वर के कार्य का सिद्धांत नहीं है, और न ही यह मनुष्यों के प्रबंधन का परमेश्वर का लक्ष्य है। यदि मनुष्य ने संकेतों और चमत्कारों को देखा होता, और यदि परमेश्वर की आत्मिक देह मनुष्य पर प्रकट होना होता, तो क्या सभी लोग परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते? मैं पहले कह चुका हूँ कि पूर्व दिशा से जीतने वालों का एक समूह प्राप्त किया जाता है, ऐसे जीतने वाले जो महान क्लेश से गुजर कर आते हैं। ऐसे वचनों का क्या अर्थ है? उनका अर्थ है कि न्याय और ताड़ना, और व्यवहार और काँट-छाँट, और सभी प्रकार के शुद्धिकरण से गुजरने के बाद केवल ये प्राप्त कर लिए गए लोग ही वास्तव में आज्ञापालन करते थे। ऐसे व्यक्तियों का विश्वास अस्पष्ट और अमूर्त नहीं है, बल्कि वास्तविक है। उन्होंने किन्हीं भी संकेतों और चमत्कारों, या अचम्भों को नहीं देखा है; वे गूढ़ अक्षरों और सिद्धान्तों, या गहन अंर्तदृष्टि की बातें नहीं करते हैं; इसके बजाय उनके पास वास्तविकता और परमेश्वर के वचन, और परमेश्वर की वास्तविकता का सच्चा ज्ञान है। क्या ऐसा समूह परमेश्वर की सामर्थ्य को स्पष्ट करने में अधिक सक्षम नहीं है? अंत के दिनों के दौरान परमेश्वर का कार्य वास्तविक कार्य है। यीशु के युग के दौरान, वह मनुष्यों को पूर्ण बनाने के लिए नहीं, बल्कि मनुष्य को छुटकारा दिलाने के लिए आया, और इस लिए उस ने लोगों से अपना अनुसरण करवाने के लिए कुछ अचम्भे प्रदर्शित किए। क्योंकि वह मुख्य रूप में सलीब पर चढ़ने का कार्य पूरा करने आया था, और संकेतों को दिखाना उसकी सेवकाई का हिस्सा नहीं था। इस प्रकार के संकेत और चमत्कार ऐसे कार्य थे जो उसके कार्य को प्रभावशाली बनाने के लिए किये गए थे; वे अतिरिक्त कार्य थे, और संपूर्ण युग के कार्य का प्रतिनिधित्व नहीं करते थे। पुराने विधान के व्यवस्था के युग के दौरान भी परमेश्वर ने कुछ संकेत और चमत्कार दिखाए—किन्तु आज परमेश्वर जो कार्य करता है, वह वास्तविक कार्य हैं, और निश्चित तौर पर अब वह संकेतों और चमत्कारों को नहीं दिखाएगा। जैसे ही वह संकेतों और चमत्कारों को दिखाएगा, उसका वास्तविक कार्य अस्तव्यस्त हो जाएगा, और वह अब और अधिक कार्य करने में असमर्थ हो जाएगा। यदि परमेश्वर ने मनुष्यों को पूर्ण करने हेतु वचनों का उपयोग करने के लिए कहा, किन्तु संकेतों और चमत्कारों को भी दिखाया, तब क्या यह स्पष्ट किया जा सकता था कि मनुष्य वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करता है अथवा नहीं? इस प्रकार, परमेश्वर इस तरह की चीजें नहीं करता है। मनुष्य के भीतर धर्म की अतिशय बातें हैं; मनुष्य के भीतर से सभी धार्मिक धारणाओं और अलौकिक बातों को बाहर निकालने, और मनुष्य को परमेश्वर की वास्तविकता का ज्ञान कराने के लिए परमेश्वर अंत के दिनों में आया है। वह परमेश्वर की उस छवि को दूर करने आया है जो अमूर्त और काल्पनिक है—एक ऐसी छवि, दूसरे शब्दों में, जिसका बिल्कुल भी अस्तित्व नहीं है। और इसलिए, अब तुम्हारे लिए जो बहुमूल्य है, वह है वास्तविकता का ज्ञान होना! सत्य सभी बातों पर प्रबल है। आज तुम कितना सत्य धारण करते हो? क्या वह सब जो संकेतों और चमत्कारों को दिखाता है परमेश्वर है? दुष्टात्माएँ भी संकेतों और चमत्कारों को दिखा सकती हैं; तो क्या वे सब परमेश्वर हैं? परमेश्वर पर अपने विश्वास में, मनुष्य जिस चीज की खोज करता है, वह सत्य है, वह जिसका अनुसरण करता है, वह, संकेतों और चमत्कारों के बजाय, जीवन है। वे सब जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं, उन सबका ऐसा ही लक्ष्य होना चाहिए।

स्रोत:सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

शुक्रवार, 26 जुलाई 2019

परमेश्वर के वचन के द्वारा सब कुछ प्राप्त हो जाता है भाग एक



परमेश्वर भिन्न-भिन्न युगों के अनुसार अपने वचन कहता है और अपना कार्य करता है, तथा भिन्न-भिन्न युगों में, वह भिन्न-भिन्न वचन कहता है। परमेश्वर नियमों से नहीं बँधता है, और एक ही कार्य को दोहराता नहीं है, और न अतीत की बातों को लेकर विषाद करता है; वह ऐसा परमेश्वर है जो सदैव नया है, कभी पुराना नहीं होता है, और वह हर दिन नये वचन बोलता है। जिस चीज का आज पालन किया जाना चाहिए उसका तुम्हें पालन करना चाहिए; यही मनुष्य की जिम्मेवारी और कर्तव्य है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि अभ्यास परमेश्वर की वर्तमान रोशनी और वास्तविक वचनों के आस-पास केन्द्रित हो। परमेश्वर नियमों का पालन नहीं करता है, और अपनी बुद्धि और सर्व-सामर्थ्य को प्रकट करने के लिए विभिन्न परिप्रेक्ष्यों से बोलने में सक्षम है।

मंगलवार, 23 जुलाई 2019

Hindi Best Christian Family Movie "कहाँ है घर मेरा?" | God Gave Me a Happy Family (Hindi Dubbed)

Hindi Best Christian Family Movie "कहाँ है घर मेरा?" | God Gave Me a Happy Family (Hindi Dubbed)

वेन्‍या जब दो साल की थी, उसके माता-पिता का तलाक हो गया और उसके बाद वह अपने पिता और सौतेली मां के साथ रही। उसकी सौतेली मां उसे स्‍वीकार नहीं कर पाई और हमेशा उसके पिता के साथ झगड़ा करती रही। उसके पिता के पास वेन्‍या को उसकी मां के घर भेजने के अलावा कोई और चारा न रहा, परंतु उसकी मां अपने कारोबार को चलाने में पूरी तरह व्‍यस्‍त थी और उसके पास वेन्‍या का ध्‍यान रखने के लिए कोई समय नहीं था, इसलिये वह अक्‍सर अपने रिश्‍तेदारों और दोस्‍तों के घर लालन-पालन के लिए धक्‍का खाती रही। दूसरों के यहां लालन-पालन के कई वर्षों के पश्‍चात् नन्‍ही सी वेन्‍या अकेली और असहाय महसूस करने लगी और एक घर के अपनेपन के लिए लालायित होने लगी।

शनिवार, 20 जुलाई 2019

Hindi Christian Family Movie | "बच्चे, घर लौट आओ" | God Saved Me From Video Games

Hindi Christian Family Movie | "बच्चे, घर लौट आओ" | God Saved Me From Video Games

लाइ शिंगुआंग वरिष्ठ हाई स्कूल का छात्र है। बहुत छोटी उम्र में वह एक समझदार और सुशील लड़का था। उसके माता-पिता और शिक्षक उसको बहुत चाहते थे। माध्यमिक शाला में जाते समय वह इंटरनेट कंप्यूटर खेलों में आसक्त हो गया था। वह इंटरनेट कैफे जाने के लिए अक्सर अपनी कक्षाएं छोड़ने लगा। उसके माता-पिता ने उसकी इंटरनेट गेमिंग की लत छुड़वाने में उसकी मदद करने की भरसक कोशिश की। दुर्भाग्य से लाइ शिंगुआंग की लत बुरी से और अधिक बुरी हो गयी। वह हतोत्साहित हो गया और धीरे-धीरे एक बदमाश लड़के में बदल गया.....। जब लाइ शिंगुआंग के माता-पिता को लगा कि वे अब कुछ नहीं कर पायेंगे, तब उन्होंने सुना कि परमेश्वर लोगों की रक्षा करने, इंटरनेट गेम की लत तोड़ने और शैतान के भ्रष्टाचार के चंगुल से छूटने में मदद करने में सक्षम हैं।

बुधवार, 17 जुलाई 2019

Hindi Christian Movie | उद्धार | Does Being Saved Represent Full Salvation?

Hindi Christian Movie | उद्धार | Does Being Saved Represent Full Salvation?

उद्धार क्या है? प्रभु यीशु में विश्वास करने वाले सोचते हैं कि अगर वे ईमानदारी से प्रभु से प्रार्थना करें, अपने पापों को स्वीकार करें और पश्चाताप करें तो उनके पापों को क्षमा कर दिया जाएगा और उनका उद्धार हो जाएगा। फिर जब प्रभु आएंगे तो उनको सीधे स्वर्ग के राज्य में आरोहित किया जाएगा। मगर क्या उद्धार पाना वाकई इतना आसान है?
फ़िल्म के नायक, शू जिकियां ने बरसों से परमेश्वर में विश्वास किया, पूरे उत्साह से परमेश्वर के लिए खर्च किया और अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए सब कुछ त्याग दिया। इसके लिए, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने उन्हें गिरफ़्तार करके यातनाएं भी दी। जेल से छूटने के बाद, उन्होंने अपने दायित्वों को निभाना जारी रखा, कुछ व्यावहारिक अनुभव हासिल किया। उनके उपदेशों और कार्य ने उनके भाई-बहनों की कुछ व्यावहारिक समस्याओं को सुलझाने में मदद की।

रविवार, 14 जुलाई 2019

Hindi Best Christian Video | सौभाग्य और दुर्भाग्य | God Led Me to Live a Happy Life (Hindi Dubbed)

Hindi Best Christian Video | सौभाग्य और दुर्भाग्य | God Led Me to Live a Happy Life (Hindi Dubbed)
      एक गरीब परिवार में आने की वजह से, बहुत छोटी उम्र से ही डु जुआन एक बेहतर ज़िंदगी जीने के लिए बहुत सा धन कमाने को दृढ़-संकल्पित थी। अपने इस लक्ष्य को साकार करने के लिए, धन कमाने के लिए वह हाथ से जो कुछ भी काम कर सकती थी वह करने के लिए उसने बहुत जल्‍दी स्‍कूल की पढ़ाई छोड़ दी। काम मुश्किल और थकाने वाला होने पर भी वह शिकायत नहीं करती थी। हालाँकि, उसे वांछित परिणाम प्राप्‍त नहीं हुए। उसने चाहे कितनी ही कड़ी मेहनत क्‍यों न की, वह उस जीवन को न पा सकी जो वह अपने लिए चाहती थी। सन् 2008 में, बहुत सारा धन कमाने के सपने को मन में रखे, वह और उसका पति काम करने के लिए जापान चले गए। कुछ वर्षों के पश्‍चात्, कष्‍टदायक कार्य के दबाव और अत्यधिक कामकाज के घंटों ने उसे थकान से बीमार कर दिया। अस्‍पताल की जाँच के नतीजों ने उनकी मनोदशा को सबसे बुरी स्थिति में पँहुचा दिया, लेकिन अपने आदर्शों को साकार करने के लिए, डु जुआन हार मानने को तैयार नहीं थी।

गुरुवार, 11 जुलाई 2019

Hindi Christian Movie | ईमानदारी अनमोल है | Only the Honest Can Enter Into the Kingdom of Heaven

Hindi Christian Movie | ईमानदारी अनमोल है | Only the Honest Can Enter Into the Kingdom of Heaven (Hindi Dubbed)


झेन चेंग एक उपकरण मरम्मत की दुकान का मालिक थाI वह दयालु, ईमानदार था और कायदे से कारोबार करता थाI वह कभी किसी की आँखों में धूल झोंकने की कोशिश नहीं करता था, बल्कि वह अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए मुश्किल से ही पैसा कमा पा रहा थाI कुछ समय बाद, उसके परिवार के सदस्य और एक साथी व्यापारी ने उसे कारोबार के हथकंडों को आजमाने के लिए उकसाया, और झेन चेंग उस कहावत पर विश्वास करने लगा जो एक शैतानी सिद्धांत को दर्शाती है: "बिना दूसरी आमदनी के आदमी कभी अमीर नहीं बन सकता, जैसे कि घोड़ा अगर रात में अपने तबेले में भूखा रहेगा तो कभी उसका वजन नहीं बढ़ेगाI" "मजबूत आदमी खा-खा कर मरता है; और कमजोर आदमी भूख से," "पैसा सब कुछ नहीं है, लेकिन इसके बगैर तुम कुछ भी नहीं कर सकतेI" और "पैसा सबसे पहले हैI"

ईसाई गीत | सिर्फ़ वही प्रवेश करेंगे अंतिम विश्राम में जो हो चुके हैं पवित्र

ईसाई गीत  | सिर्फ़ वही प्रवेश करेंगे अंतिम विश्राम में जो हो चुके हैं पवित्र उतरी है आदम हव्वा से, लेकिन भविष्य की मानव जाति, न होगी ...