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रविवार, 18 अगस्त 2019

"बाइबल के विषय में" पर परमेश्वर के वचन के चार अंशों से संकलन भाग एक




1. बहुत सालों से, लोगों के विश्वास का परम्परागत माध्यम (दुनिया के तीन मुख्य धर्मों में से एक, मसीहियत के विषय में) बाइबल पढ़ना ही रहा है; बाइबल से दूर जाना प्रभु में विश्वास नहीं है, बाइबल से दूर जाना एक दुष्ट पंथ और विधर्म है, और यहाँ तक कि जब लोग अन्य पुस्तकों को पढ़ते हैं, तो इन पुस्तकों की बुनियाद, बाइबल की व्याख्या ही होनी चाहिए। कहने का अर्थ है कि, यदि तुम कहते हो कि तुम प्रभु में विश्वास करते हो, तो तुम्हें बाइबल अवश्य पढ़नी चाहिए, तुम्हें बाइबल खानी और पीनी चाहिए, बाइबल के अलावा तुम्हें किसी अन्य पुस्तक की आराधना नहीं करनी चाहिए जिस में बाइबल शामिल नहीं हो। यदि तुम करते हो, तो तुम परमेश्वर के साथ विश्वासघात कर रहे हो। उस समय से जब बाइबल थी, प्रभु के प्रति लोगों का विश्वास बाइबल के प्रति विश्वास रहा है। यह कहने के बजाए कि लोग प्रभु में विश्वास करते हैं, यह कहना बेहतर है कि वे बाइबल में विश्वास करते हैं; यह कहने की अपेक्षा की उन्होंने बाइबल पढ़नी आरम्भ कर दी है, यह कहना बेहतर है कि उन्होंने बाइबल पर विश्वास करना आरम्भ कर दिया है; और यह कहने की अपेक्षा कि वे प्रभु के सामने वापस आ गए हैं, यह कहना बेहतर होगा कि वे बाइबल के सामने वापस आ गए हैं। इस तरह से, लोग बाइबल की आराधना ऐसे करते हैं मानो कि यह ईश्वर है, मानो कि यह उनका जीवन रक्त है और इसे खोना अपने जीवन को खोने के समान होगा। लोग बाइबल को परमेश्वर के समान ही ऊँचा देखते हैं, और यहाँ तक कुछ ऐसे भी हैं जो इसे परमेश्वर से भी ऊँचा देखते हैं। यदि लोग पवित्र आत्मा के कार्य के बिना हैं, यदि वे परमेश्वर का एहसास नहीं कर सकते हैं, तो वे जीवन जीते रह सकते हैं - परन्तु जैसे ही वे बाइबल को खो देते हैं, या बाइबल के प्रसिद्ध अध्यायों और कथनों को खो देते हैं, तो यह ऐसा है मानो उन्होंने अपना जीवन खो दिया हो। और इसलिए, जैसे ही लोग प्रभु में विश्वास करते हैं वे बाइबल पढ़ना, और बाइबल को याद करना आरम्भ कर देते हैं, और जितना ज़्यादा वे बाइबल को याद कर पाते हैं, उतना ही ज़्यादा यह साबित होता है कि वे प्रभु से प्रेम करते हैं और बड़े विश्वासी हैं। वे जिन्होंने बाइबल को पढ़ा है और उसके बारे में दूसरों को बोल सकते हैं वे सभी अच्छे भाई और बहन हैं। इन सारे वर्षों में, प्रभु के प्रति लोगों के विश्वास और उनकी वफादारी को बाइबल की उनकी समझ के विस्तार के अनुसार मापा गया है। अधिकांश लोग साधारण तौर पर यह नहीं समझते हैं कि उन्हें परमेश्वर पर क्यों विश्वास करना चाहिए, और न ही यह समझते हैं कि परमेश्वर पर कैसे विश्वास करना है, किन्तु बाइबल के अध्यायों का गूढ अर्थ निकालने के लिए आँख बंद करके सुरागों को ढूँढ़ने के अलावा और कुछ भी नहीं करते हैं। उन्होंने कभी भी पवित्र आत्मा के कार्य के निर्देशन का अनुसरण नहीं किया है; शुरूआत से ही, उन्होंने हताशापूर्ण ढंग से बाइबल का अध्ययन और उसकी खोजबीन करने के अलावा और कुछ नहीं किया है, और किसी ने कभी भी बाइबल के बाहर पवित्र आत्मा के नवीनतम कार्य को नहीं पाया है, कोई कभी भी बाइबल से दूर नहीं गया है, और न ही उसने कभी बाइबल से दूर जाने की हिम्मत की है। लोगों ने इन सभी वर्षों में बाइबल का अध्ययन किया है, वे बहुत सी व्याख्याओं के साथ सामने आए हैं, और बहुत सा काम किया है; उनमें भी बाइबल के बारे में कई मतभेद हैं, जिस पर वे अंतहीन रूप से वाद-विवाद करते हैं, इतना कि आज दो हज़ार से ज़्यादा अलग-अलग सम्प्रदाय बन गए हैं। वे सभी कुछ विशेष व्याख्याओं, या बाइबल के अधिक गम्भीर रहस्यों का पता लगाना चाहते हैं, वे इसकी खोज करना चाहते हैं, और इसे इस्राएल में यहोवा के कार्य की पृष्ठभूमि में, या यहूदिया में यीशु के कार्य की पृष्ठभूमि में, या और अधिक रहस्यों को ढूँढ़ना चाहते हैं जिन्हें कोई नहीं जानता है। लोग धुन और विश्वास के साथ बाइबल के समीप जाते हैं, और बाइबल की भीतरी कहानी या सार के बारे में कोई भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो सकता है। इसका नतीजा ये है कि आज, जब बाइबल की बात आती है तो लोगों के पास अभी भी जादुईगिरी का एक अवर्णनीय एहसास है; और उस से भी बढ़कर, उसके बारे में उन्हें धुन लगी है, और उस पर विश्वास करते हैं। आज, हर कोई बाइबल में अंत के दिनों के कार्य की भविष्यवाणियों का पता लगाना चाहता है, वह यह खोज करना चाहता है कि अंत के दिनों के दौरान परमेश्वर क्या कार्य करता है, और अंत के दिनों के लिए क्या लक्षण हैं। इस तरह से, बाइबल की उनकी आराधना और उत्कट हो जाती है, और यह जितना ज़्यादा अंत के दिनों के नज़दीक आती है, उतना ही ज़्यादा वे बाइबल की भविष्यवाणियों को विश्वसनीयता देने लगते हैं, विशेषकर उनको जो अंत के दिनों के बारे में हैं। बाइबल में ऐसे अन्धे विश्वास के साथ, बाइबल में ऐसे भरोसे के साथ, उनमें पवित्र आत्मा के कार्य को खोजने की कोई इच्छा नहीं होती है। लोगों की अवधारणाओं के अनुसार, वे सोचते हैं कि केवल बाइबल ही पवित्र आत्मा के कार्य को ला सकती है; केवल बाइबल में ही वे परमेश्वर के पदचिह्नों को खोज सकते हैं; केवल बाइबल में ही परमेश्वर के कार्य के रहस्य छिपे हुए हैं; केवल बाइबल - न कि अन्य पुस्तकें या लोग - परमेश्वर के बारे में हर बात को और उनके कार्य की सम्पूर्णता को स्पष्ट कर सकती है; बाइबल स्वर्ग के कार्य को पृथ्वी पर ला सकती है; और बाइबल युगों का आरंभ और अंत दोनों कर सकती है। इन अवधारणाओं के साथ, लोगों का पवित्र आत्मा के कार्य को खोजने की ओर कोई झुकाव नहीं होता है। अतः, इस बात की परवाह किए बिना कि अतीत में बाइबल लोगों के लिए कितनी मददगार थी, यह परमेश्वर के नवीनतम कार्य के लिए एक बाधा बन गई है। बाइबल के बिना, लोग अन्य स्थानों पर परमेश्वर के पदचिह्नों को खोज सकते हैं, फिर भी आज, उसके कदमों को बाइबल के द्वारा "रोक लिया" गया है, और उनके नवीनतम कार्य को बढ़ाना दोगुना कठिन, और एक कठिन संघर्ष बन गया है। यह सब बाइबल के प्रसिद्ध अध्यायों एवं कथनों, और साथ ही बाइबल की विभिन्न भविष्यवाणियों की वजह से हैं। बाइबल लोगों के मनों में एक आदर्श बन चुकी है, यह उनके मस्तिष्कों में एक पहेली बन चुकी है, वे मात्र यह विश्वास करने में असमर्थ हैं कि परमेश्वर बाइबल से अलग भी काम कर सकता है, वे मात्र यह विश्वास करने में असमर्थ हैं कि लोग बाइबल के बाहर भी परमेश्वर को पा सकते हैं, और वे यह बिलकुल भी विश्वास करने में सक्षम नहीं हैं कि परमेश्वर अंतिम कार्य के दौरान बाइबल से दूर जा सकता है और एक नए सिरे से शुरू कर सकता है। यह लोगों के लिए अकल्पनीय है; वे इस पर विश्वास नहीं कर सकते हैं, और न ही वे इसकी कल्पना कर सकते हैं। परमेश्वर के नए कार्य को स्वीकार करने में बाइबल एक बहुत बड़ी बाधा बन चुकी है, और इसने इस नए कार्य का विस्तार करना और अधिक कठिन बना दिया है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "बाइबल के विषय में (1)" से
2. प्राचीन समयों में, अनुग्रह के युग के पहले लोग बाइबल पढ़ते थे, किन्तु उस समय केवल पुराना विधान था; कोई नया विधान नहीं था। चूँकि बाइबल का पुराना विधान ही था, इसलिए लोगों ने पवित्र शास्त्रों को पढ़ना आरम्भ कर दिया। जब उसके लिए यहोवा का मार्गदर्शन समाप्त हो गया था, तब मूसा ने उत्पत्ति, निर्गमन, और व्यवस्थाविवरण... को लिखा। उसने यहोवा के उस समय के कार्य का स्मरण किया, और उसे लिखा। बाइबल इतिहास की एक पुस्तक है। वास्तव में, इस में भविष्यद्वक्ताओं के कुछ पूर्वकथन शामिल हैं, और वास्तव में, ये पूर्वकथन किसी भी मायने में इतिहास नहीं हैं। बाइबल में अनेक भाग शामिल हैं—इस में केवल भविष्यवाणी ही नहीं है, या केवल यहोवा का कार्य ही नहीं है, और न ही इस में मात्र पौलुस के धर्मपत्र ही हैं। तुम्हें अवश्य ज्ञात होना चाहिए कि बाइबल में कितने भाग शामिल हैं; पुराने विधान में उत्पत्ति, निर्गमन..., शामिल हैं, और इसमें वे भविष्यवाणी की पुस्तकें भी हैं जिन्हें उन्होंने लिखा था। अंत में, पुराना विधान मलाकी की पुस्तक के साथ समाप्त होता है। इसमें व्यवस्था के युग के कार्य को दर्ज किया गया है, जिसकी अगुवाई यहोवा के द्वारा की गई थी; उत्पत्ति से लेकर मलाकी की पुस्तक तक, यह व्यवस्था के युग के सभी कार्य का विस्तृत लिखित दस्तावेज़ है। कहने का अर्थ है, कि पुराने विधान में वह सब कुछ दर्ज है जिसे उन लोगों के द्वारा अनुभव किया गया था जिनका व्यवस्था के युग में यहोवा के द्वारा मार्गदर्शन किया गया था। पुराने नियम के व्यवस्था के युग के दौरान, यहोवा के द्वारा बड़ी संख्या में खड़े किए गए भविष्यद्वक्ताओं ने उसके लिए भविष्यवाणी की, उन्होंने विभिन्न कबीलों एवं राष्ट्रों को निर्देश दिए, और उस कार्य की भविष्यवाणी की जो यहोवा करेगा। ये लोग जिन्हें खड़ा किया गया था, उन सभी को यहोवा के द्वारा भविष्यवाणी का पवित्रात्मा दिया गया थाः वे यहोवा से परिकल्पनाओं को देखने, और उसकी आवाज़ को सुनने में समर्थ थे, और इस प्रकार वे उसके द्वारा प्रेरित थे और उन्होंने भविष्यवाणियों को लिखा। उन्होंने जो कार्य किया वह यहोवा की आवाज़ की अभिव्यक्ति था, यह उस भविष्यवाणी का कार्य था जिसे उन्होंने यहोवा की ओर से किया था, और उस समय यहोवा का कार्य केवल पवित्रात्मा का उपयोग करके लोगों को मार्गदर्शन करना था; वह देहधारी नहीं हुआ, और लोगों ने उसके चेहरे में से कुछ भी नहीं देखा। इस प्रकार, उसने अपना कार्य करने के लिए बहुत से भविष्यद्वक्ताओं को खड़ा किया, और उन्हें आकाशवाणियाँ दीं जो उन्होंने इस्राएल के प्रत्येक कबीले और कुटुम्ब को सौंप दी। उनका कार्य भविष्यवाणी कहना था, और उन में से कुछ ने अन्य लोगों को दिखाने के लिए यहोवा के निर्देशों को लिख लिया। यहोवा ने इन लोगों को भविष्यवाणी करने, भविष्य के कार्य या उस कार्य के बारे में पूर्वकथन कहने के लिए खड़ा किया था जो उस युग के दौरान अभी किया जाना था, ताकि लोग यहोवा की चमत्कारिता एवं बुद्धि को देख सकें। भविष्यवाणी की ये पुस्तकें बाइबल की अन्य पुस्तकों से बिलकुल अलग थीं; वे उन लोगों के द्वारा बोले या लिखे गए वचन थे जिन्हें भविष्यवाणी का पवित्रात्मा दिया गया था—उनके द्वारा जिन्होंने यहोवा की परिकल्पना या आवाज़ को प्राप्त किया था। भविष्यवाणी की पुस्तकों के अलावा, पुराने विधान में हर चीज़ वह अभिलेख है जिसे लोगों के द्वारा तब बनाया गया था जब यहोवा ने अपना काम समाप्त कर लिया था। ये पुस्तकें यहोवा के द्वारा खड़े किए गए भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बोले गए पूर्वकथनों का स्थान नहीं ले सकती हैं, बिलकुल वैसे ही जैसे उत्पत्ति और निर्गमन की तुलना यशायाह की पुस्तक और दानिय्येल की पुस्तक से नहीं की जा सकती है। कार्य के पूरा होने से पहले ही भविष्यवाणियाँ बोली गई थीं; अन्य पुस्तकें, इस बीच, इसके पूरा हो जाने के बाद लिखी गई थीं, जो कि वह था जिसे करने में लोग समर्थ थे। उस समय के भविष्यद्वक्ता यहोवा के द्वारा प्रेरित थे और उन्होंने कुछ भविष्यवाणियाँ की, और उन्होंने कई वचन बोले, और अनुग्रह के युग की चीजों की, और साथ ही अंत के दिनों में संसार के विनाश—वह कार्य जिसे करने की यहोवा की योजना थी—के बारे में भविष्यवाणी की। बाकी बची सभी पुस्तकों में यहोवा के द्वारा इस्राएल में किए गए कार्य को दर्ज किया गया है। इस प्रकार, जब तुम बाइबल को पढ़ते हो, तो तुम मुख्य रूप से यहोवा के द्वारा इस्राएल में किये कार्यों के बारे में पढ़ रहे होते हो; बाइबल के पुराने विधान में मुख्यतः इस्राएल का मार्गदर्शन करने का यहोवा का कार्य, मिस्र से बाहर इस्राएलियों का मार्गदर्शन करने के लिए उसका मूसा का उपयोग, किसने उन्हें फिरौन के बन्धनों से छुटकारा दिलाया, और कौन उन्हें बाहर जंगल में ले गया, जिसके बाद उन्होंने कनान में प्रवेश किया और इसके बाद की हर चीज़ कनान में उनका जीवन था, दर्ज किया गया है। इसके अलावा बाकी सब पूरे इस्राएल में यहोवा के कार्य का अभिलेख है। पुराने विधान में दर्ज सब कुछ इस्राएल में यहोवा का कार्य है, यह वह कार्य है जिसे यहोवा ने उस भूमि में किया जिस में उसने आदम और हव्वा को बनाया था। जब से परमेश्वर ने नूह के बाद आधिकारिक रूप से पृथ्वी पर लोगों की अगुवाई करनी आरम्भ की, तब से पुराने विधान में दर्ज सब कुछ इस्राएल का कार्य है। और क्यों इस्राएल के बाहर का कोई भी कार्य दर्ज नहीं किया गया है? क्योंकि इस्राएल की भूमि मानवजाति का पालना है। आदि में, इस्राएल के अलावा कोई अन्य देश नहीं थे, और यहोवा ने अन्य स्थानों में कार्य नहीं किया। इस तरह, बाइबल में जो कुछ भी दर्ज है वह केवल उस समय इस्राएल में किया गया कार्य है। भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा, यशायाह, दानिय्येल, यिर्मयाह, और यहेज़केल के द्वारा बोले गए वचन ... उनके वचन पृथ्वी पर उसके अन्य कार्य के बारे में पूर्वकथन करते हैं, वे यहोवा परमेश्वर स्वयं के कार्य का पूर्वकथन करते हैं। यह सब कुछ परमेश्वर से आया, यह पवित्र आत्मा का कार्य था, और भविष्यद्वक्ताओं की इन पुस्तकों के अलावा, बाकी हर चीज़ उस समय लोगों के यहोवा के कार्य के अनुभव का अभिलेख है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "बाइबल के विषय में (1)" से
3. सृष्टि की रचना का कार्य मानवजाति के आने से पहले हुआ, किन्तु उत्पत्ति की पुस्तक सिर्फ मानवजाति के आने के बाद ही आयी; यह वह पुस्तक थी जिसे मूसा के द्वारा व्यवस्था के युग के दौरान लिखा गया था। यह ऐसी चीज़ों के समान है जो आज तुम लोगों के बीच होती हैं: उनके होने के बाद, तुम लोग, भविष्य में लोगों को दिखाने के लिए, और भविष्य के लोगों के लिए उन्हें लिख लेते हो, जो कुछ भी तुम लोगों ने दर्ज किया वे ऐसी बातें हैं जो अतीत में घटित हुई थीं—वे इतिहास से बढ़कर और कुछ भी नहीं हैं। पुराने विधान में दर्ज की गई चीजें इस्राएल में यहोवा के कार्य हैं, और जो कुछ भी नए विधान में दर्ज है वह अनुग्रह के युग के दौरान यीशु के कार्य हैं; वे दो भिन्न-भिन्न युगों में परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य को अभिलिखित करते हैं। पुराना विधान व्यवस्था के युग के दौरान परमेश्वर के कार्य को अभिलिखित करता है, और इस प्रकार पुराना विधान एक ऐतिहासिक पुस्तक है, जबकि नया विधान अनुग्रह के युग के कार्य का उत्पाद है। जब नया कार्य आरम्भ हुआ, तो ये पुस्तकें पुरानी पड़ गईं—और इस प्रकार, नया विधान भी एक ऐतिहासिक पुस्तक है। वास्तव में, नया विधान पुराने विधान के समान सुव्यवस्थित नहीं है, न ही इसमें इतनी बातें दर्ज हैं।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "बाइबल के विषय में (1)" से
4. बाइबल किस प्रकार की पुस्तक है? पुराना विधान व्यवस्था के युग के दौरान परमेश्वर का कार्य है। बाइबल के पुराने विधान में व्यवस्था के युग के दौरान यहोवा के सभी कार्य और उसके सृजन के कार्य दर्ज हैं। इसमें यहोवा के द्वारा किए गए समस्त कार्य दर्ज हैं, और यहोवा के कार्य के वृत्तान्त अंततः मलाकी की पुस्तक के साथ समाप्त होते हैं। पुराने विधान में परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य के दो टुकड़े दर्ज हैं: एक सृष्टि की रचना का कार्य है, और एक व्यवस्था की आज्ञा देना है। दोनों ही कार्य यहोवा द्वारा किये गए थे। व्यवस्था का युग यहोवा के नाम के अधीन परमेश्वर के कार्य का प्रतिनिधित्व करता है; यह मुख्यतः यहोवा के नाम के अधीन किए गए कार्य की समग्रता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "बाइबल के विषय में (1)" से
5. यदि तुम व्यवस्था के युग के कार्य को देखने की इच्छा करते हो, और यह देखना चाहते हो कि इज़राइली किस प्रकार यहोवा के मार्ग का अनुसरण करते थे, तो तुम्हें पुराना विधान अवश्य पढ़ना चाहिए; यदि तुम अनुग्रह के युग के कार्य को समझना चाहते हो, तो तुम्हें नया विधान अवश्य पढ़ना चाहिए। किन्तु तुम अंतिम दिनों के कार्य को किस प्रकार देखते हो? तुम्हें आज के परमेश्वर की अगुआई को स्वीकार अवश्य करना चाहिए, और आज के कार्य में प्रवेश करना चाहिए, क्योंकि यह नया कार्य है, और किसी ने भी पूर्व में इसे बाइबल में दर्ज नहीं किया है। आज, परमेश्वर देहधारी हो चुका है और उसने चीन में अन्य चयनित लोगों को छाँट लिया है। परमेश्वर इन लोगों में कार्य करता है, वह पृथ्वी पर अपने काम को निरन्तर जारी रखता है, और अनुग्रह के युग के कार्य को जारी रखता है। आज का कार्य एक मार्ग है जिस पर मनुष्य कभी नहीं चला, और एक तरीका है जिसे किसी ने कभी नहीं देखा है। यह वह कार्य है जिसे पहले कभी नहीं किया गया है—यह पृथ्वी पर परमेश्वर का नवीनतम कार्य है। इस प्रकार, ऐसा कार्य जो पहले कभी नहीं किया गया हो वह इतिहास नहीं है, क्योंकि अभी तो अभी है, और इसे अभी अतीत बनना है। लोग नहीं जानते हैं कि परमेश्वर ने पृथ्वी पर और इस्राएल के बाहर बड़ा, नया काम किया है, कि यह पहले ही इस्राएल के दायरे के बाहर, और भविष्यवक्ताओं के पूर्वकथनों के परे चला गया है, कि यह भविष्यवाणियों के बाहर नया और बेहतरीन, और इस्राएल के परे नवीनतम कार्य है, और ऐसा कार्य है जिसे लोग न तो समझ सकते हैं और न ही जिसकी कल्पना कर सकते हैं। बाइबल ऐसे कार्य के सुस्पष्ट अभिलेखों को कैसे समाविष्ट कर सकती है? कौन आज के कार्य के प्रत्येक अंश को, बिना किसी चूक के, पहले से ही दर्ज कर सका होगा? कौन इस अति पराक्रमी, अति बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य को इस पुरानी घिसीपिटी पुस्तक में दर्ज कर सकता है जो परम्परा का अनादर करता है? आज का कार्य इतिहास नहीं है, और वैसे तो, यदि तुम आज के नए पथ पर चलने की इच्छा करते हो, तो तुम्हें बाइबल से दूर अवश्य जाना चाहिए, तुम्हें बाइबल की भविष्यवाणियों या इतिहास की पुस्तकों के परे अवश्य जाना चाहिए। केवल तभी तुम इस नए मार्ग पर उचित तरीके से चल पाओगे, और केवल तभी तुम एक नए राज्य और नए कार्य में प्रवेश कर पाओगे। तुम्हें यह अवश्य समझना चाहिए कि क्यों, आज, तुम से बाइबल न पढ़ने को कहा जा रहा है, क्यों एक अन्य कार्य है जो बाइबल से अलग है, क्यों परमेश्वर बाइबल में किसी नवीनतम तथा अधिक विस्तृत अभ्यासों की ओर नहीं देखता है, क्यों इसके बजाए बाइबल के बाहर अधिक पराक्रमी कार्य हैं। यही वह सब है जो तुम लोगों को समझना चाहिए। तुम्हें पुराने और नए कार्य के बीच के अंतर को अवश्य जानना चाहिए, और यद्यपि तुम बाइबल को नहीं पढ़ते हो, फिर भी तुम्हें उसका विश्लेषण करने में समर्थ होना चाहिए; यदि नहीं, तो तुम अभी भी बाइबल की ही आराधना करोगे, और तुम्हारे लिए नए कार्य में प्रवेश करना और नए परिवर्तनों से गुज़रना कठिन होगा।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "बाइबल के विषय में (1)" से
6. चूँकि यहाँ एक उच्चतर मार्ग है, तो उस निम्न एवं पुराने मार्ग का अध्ययन क्यों करते हो? चूँकि यहाँ अधिक नवीन कथन हैं, और अधिक नया कार्य है, तो पुराने ऐतिहासिक अभिलेखों के मध्य जीवन क्यों बिताते हो? नए कथन तुम्हारा भरण-पोषण कर सकते हैं, जिससे यह साबित होता है कि यह नया कार्य है; पुराने लिखित दस्तावेज़ तुम्हें तृप्त नहीं कर सकते हैं, या तुम्हारी वर्तमान आवश्यकताओं को संतुष्ट नहीं कर सकते हैं, जिससे यह साबित होता है कि वे इतिहास हैं, और यहाँ के और वर्तमान के कार्य नहीं हैं। उच्चतम मार्ग ही नवीनतम कार्य है, और नए कार्य के साथ, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि अतीत का मार्ग कितना ऊँचा था, यह अभी भी लोगों के चिंतनों का इतिहास है, और इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि सन्दर्भ के रूप में इसका कितना महत्व है, यह अभी भी एक पुराना मार्ग है। यद्यपि इसे "पवित्र पुस्तक" में दर्ज किया गया है, फिर भी पुराना मार्ग इतिहास है; यद्यपि "पवित्र पुस्तक" में इसका कोई अभिलेख नहीं है, फिर भी नया मार्ग यहाँ का और अभी का है। यह मार्ग तुम्हें बचा सकता है, और यह मार्ग तुम्हें परिवर्तित कर सकता है, क्योंकि यह पवित्र आत्मा का कार्य है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "बाइबल के विषय में (1)" से
7. बाइबल एक ऐतिहासिक पुस्तक है, और यदि तुम ने अनुग्रह के युग के दौरान पुराने विधान को खाया और पिया होता - यदि अनुग्रह के युग के दौरान पुराने विधान के समय में जो अपेक्षित था उसे तुम व्यवहार में लाए होते - तो यीशु ने तुम्हें अस्वीकार कर दिया होता, और तुम्हें निन्दित किया होता; यदि तुमने यीशु के कार्य में पुराने विधान को लागू किया होता, तो तुम एक फरीसी होते। यदि, आज, तुम पुराने और नए विधान को खाने और पीने के लिए एक साथ मिलाओगे, और अभ्यास करोगे, तो आज का परमेश्वर तुम्हारी निन्दा करेगा; तुम पवित्र आत्मा के आज के कार्य में पिछड़ जाओगे! यदि तुम पुराने विधान को खाते हो, और नए विधान को खाते हो, तो तुम पवित्र आत्मा की धारा के बाहर हो! यीशु के समय में, यीशु ने अपने में पवित्र आत्मा के कार्य के अनुसार यहूदियों और उन सब की अगुवाई की थी जिन्होंने उस समय उसका अनुसरण किया था। उसने जो कुछ किया उस में उसने बाइबल को आधार के रूप में नहीं लिया, बल्कि वह अपने कार्य के अनुसार बोला; बाइबल क्या कहती है उसने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया, और न ही उसने अपने अनुयायियों की अगुवाई करने के लिए बाइबल में किसी मार्ग को ढूँढ़ा था। ठीक उस समय से ही जब उसने कार्य करना आरम्भ किया, उसने पश्चाताप—एक शब्द जिसके बारे में पुराने विधान की भविष्यवाणियों में बिलकुल भी उल्लेख नहीं किया गया था—के मार्ग को फैलाया। न केवल उसने बाइबल के अनुसार कार्य नहीं किया, बल्कि उसने एक नए मार्ग की अगुवाई भी की, और नया कार्य किया। जब उसने उपदेश दिए तब उसने कभी भी बाइबल को संदर्भित नहीं किया। व्यवस्था के युग के दौरान, बीमारों को चंगा करने और दुष्टात्माओं को निकालने के उसके चमत्कारों को करने के योग्य कोई कभी नहीं हो पाया था। उनका कार्य, उनकी शिक्षाएँ, उनका अधिकार—व्यवस्था के युग के दौरान किसी ने भी इसे नहीं किया था। यीशु ने मात्र अपना नया काम किया, और भले ही बहुत से लोगों ने बाइबल का उपयोग करते हुए उसकी निन्दा की—और यहाँ तक कि उसे सलीब पर चढ़ाने के लिए पुराने विधान का उपयोग किया—फिर भी उसका कार्य पुराने विधान से बढ़कर था; यदि ऐसा न होता, तो लोग उसे सलीब पर क्यों चढ़ाते? क्या यह इसलिए नहीं था क्योंकि पुराने विधान में उसकी शिक्षाओं, और बीमारों को चंगा करने और दुष्टात्माओं को निकालने की उसकी योग्यता के बारे में कुछ नहीं कहा गया था? उसका कार्य एक नए मार्ग की अगुवाई करने के लिए था, यह जानबूझकर बाइबल के विरूद्ध "लड़ाई करना", या जानबूझकर पुराने विधान को अनावश्यक बना देना नहीं था। वह केवल अपनी सेवकाई करने के लिए आया था, और अपने नए कार्य को उन लोगों के लिए लेकर आया था जो उसके लिए लालायित थे और उसे खोजते थे। वह पुराने विधान की व्याख्या करने या इसके कार्य का समर्थन करने के लिए नहीं आया था। उसका कार्य व्यवस्था के युग के निरन्तर विकास की अनुमति देने के लिए नहीं था, क्योंकि उसके कार्य ने इस बात पर कोई विचार नहीं किया कि इसमें एक आधार के रूप में बाइबल थी या नहीं; यीशु केवल वह कार्य करने के लिए आया था जो उनके लिए करना आवश्यक था। इस प्रकार, उसने पुराने विधान की भविष्यवाणियों की व्याख्या नहीं की, न ही उसने पुराने विधान के व्यवस्था के युग के वचनों के अनुसार कार्य किया। जो कुछ पुराने विधान ने कहा उसने उसकी उपेक्षा की, उसने इस बात की परवाह नहीं की कि पुराना विधान उनके कार्य से सहमत था या नहीं, और इस बात की परवाह नहीं की कि लोग उसके कार्य के बारे में क्या जानते हैं, या उसने कैसे इसकी निन्दा की। वह केवल निरन्तर वह कार्य करता रहा जो उसे करना चाहिए था, भले ही बहुत से लोगों ने उसकी निन्दा करने के लिए पुराने विधान के भविष्यवक्ताओं के पूर्वकथनों का उपयोग किया। लोगों को, ऐसा प्रतीत हुआ मानो उसके कार्य का कोई आधार नहीं था, और उस में बहुत कुछ ऐसा था जो पुराने विधान के अभिलेखों से असंगत था। क्या यह मूर्खता नहीं है? क्या परमेश्वर के कार्य में सिद्धांतों को लागू किए जाने की आवश्यकता है? और क्या इसे भविष्यवक्ताओं के पूर्वकथनों के अनुसार अवश्य होना चाहिए? आख़िरकार, कौन बड़ा हैः परमेश्वर या बाइबल? परमेश्वर का कार्य बाइबल के अनुसार क्यों होना चहिए? क्या ऐसा हो सकता है कि परमेश्वर को बाइबल से आगे बढ़ने का कोई अधिकार नहीं है? क्या परमेश्वर बाइबल से दूर नहीं जा सकता है और अन्य काम नहीं कर सकता है? यीशु और उनके शिष्यों ने सब्त का पालन क्यों नहीं किया? यदि उसे सब्त का पालन करना होता और पुराने विधान की आज्ञाओं के अनुसार अभ्यास करना होता, तो आने के बाद यीशु ने सब्त का पालन क्यों नहीं किया, बल्कि इसके बजाए उसने पाँव धोए, सिर को ढका, रोटी तोड़ी और दाखरस पीया? क्या यह सब पुराने विधान की आज्ञाओं से अनुपस्थित नहीं हैं? यदि यीशु पुराने विधान का सम्मान करता, तो उसने इन सिद्धांतो का अनादर क्यों किया? तुम्हें जानना चाहिए कि पहले कौन आया था, परमेश्वर या बाइबल! सब्त का प्रभु होते हुए, क्या वह बाइबल का भी प्रभु नहीं हो सकता है?
"वचन देह में प्रकट होता है" से "बाइबल के विषय में (1)" से

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