यांग ली वुहाई शहर, इनर मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र
जब मैं स्कूल में ही थी, तब मेरे पिता बीमार हो गए और उनका देहांत हो गया। उनकी मृत्यु के बाद, परिवार के दोनों पक्षों के चाचाओं/मामाओं ने, जिनकी मेरे पिता द्वारा अक्सर ही मदद की जाती थी, न केवल हमारा—मेरी माँ जिनके पास कमाई का कोई स्रोत नहीं था, मेरी दो बहनों और मुझ पर—कोई ध्यान नहीं दिया, बल्कि, इसके विपरीत, हमसे फायदा उठाने के लिए वे जो कुछ भी कर सकते थे, उन्होंने किया, यहाँ तक कि उस थोड़ी सी विरासत के लिए भी हमसे लड़ाई करते थे जो मेरे पिता पीछे छोड़ गए थे। मेरे रिश्तेदारों की बेरुख़ी और उन्होंने जो कुछ भी किया जिसकी मैं कभी उम्मीद भी नहीं कर सकती थी, उसके सामने मुझे बहुत पीड़ा महसूस होती थी और मैं इन रिश्तेदारों द्वारा प्रदर्शित विवेक के पूर्ण अभाव और निष्ठुरता से नफ़रत करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकती थी, साथ ही मुझे मानव प्रकृति की अस्थिरता का भी ज्ञान हो रहा था। इसके बाद, जब भी मैं समाज में पारिवारिक सदस्यों के धन के पीछे एक-दूसरे से लड़ने, या धन के लिए लोगों के चोरी या हत्या करने की घटनाओं को देखती, तो मैं अक्सर विलाप किया करती थी कि आजकल दुनिया अत्यधिक अंधकार से भर गई है, कि लोगों के दिल वाकई बेईमान हो गए हैं और यह दुनिया वाकई बहुत अस्थिर है। उस समय, मैं सोचती थी कि इस दुनिया का इतने अधिक अंधकार से भर जाना इस कारण से है क्योंकि आजकल लोग बुरे बन गए हैं, कि उनमें अब और विवेक नहीं रह गया है और यह कि इस दुनिया में बुरे लोग बहुत अधिक हैं। इसके बाद, केवल परमेश्वर के वचनों को खाने और पीने के बाद ही मुझे अहसास हुआ कि मैं जो कुछ भी सोचती थी वह तो बस ऊपरी सतह को खरोंचती थी, और वह दुनिया के अंधकार और बुराई का स्रोत नहीं था। परमेश्वर के वचनों से, मैंने इस दुनिया में अंधकार और बुराई के असली स्रोत को स्पष्ट रूप से देखा।
परमेश्वर के वचन कहते हैं: "शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने से पहले, मनुष्य स्वाभाविक रूप से परमेश्वर का अनुसरण करता था और उसके वचनों को सुनने के बाद उनका पालन करता था। उसमें स्वाभाविक रूप से सही समझ और विवेक था, और सामान्य मानवता थी। शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने के बाद, उसकी मूल समझ, विवेक, और मानवता मंद पड़ गई और शैतान के द्वारा दूषित हो गई। इस प्रकार, उसने परमेश्वर के प्रति अपनी आज्ञाकारिता और प्रेम को खो दिया है। मनुष्य की समझ धर्मपथ से हट गई है, उसका स्वभाव एक जानवर के समान हो गया है, और परमेश्वर के प्रति उसकी विद्रोहशीलता और भी अधिक बढ़ गई है और गंभीर हो गई है। लेकिन फिर भी, मनुष्य इसे न तो जानता है और न ही पहचानता है, और केवल आँख बंद करके विरोध और विद्रोह करता है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "एक अपरिवर्तित स्वभाव का होना परमेश्वर के साथ शत्रुता में होना है")। "हजारों वर्षों की प्राचीन संस्कृति और इतिहास के ज्ञान ने मानव की सोच और अवधारणाओं तथा मानसिक दृष्टिकोण को अभेद्य और अध्वंस्य[1]हो जाने की सीमा तक बंद कर दिया है। …सामंती नैतिकता ने मनुष्य का जीवन "अधोलोक" में पहुंचा दिया है, जिससे व्यक्ति की विरोध करने की क्षमता और भी कम हो गई है। विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न के तले मनुष्य धीरे-धीरे अधोलोक में और गहरा गिर गया तथा परमेश्वर से और दूर हो गया। …प्राचीन संस्कृति के ज्ञान ने चुपचाप मनुष्य को परमेश्वर की उपस्थिति से चुरा लिया है और मनुष्य को दुष्टों के राजा और उसके पुत्रों को सौंप दिया है। चार पुस्तकों और पाँच क्लासिक्स ने मनुष्य की सोच और अवधारणाओं को विद्रोह के एक और युग में पहुँचा दिया है, जिससे मनुष्य उनकी और भी आराधना करता है जिन्होंने उन पुस्तकों और क्लासिक्स को लिखा था, परमेश्वर के बारे में उनकी धारणा को बढ़ाते हुए। दुष्टों के राजा ने निर्दयतापूर्वक मानव जाति के दिल से, उनकी जागरूकता के बिना, परमेश्वर को बाहर निकाल दिया, जबकि उसने मनुष्य के दिल को हर्षपूर्वक हथिया लिया। तब से मनुष्य, दुष्टों के राजा का चेहरा धारण करने वाले एक बदसूरत और दुष्ट आत्मा के अधीन हो गया था। परमेश्वर के प्रति एक घृणा उनके सीनों में भर गई, और दुष्टों के राजा की दुर्भावना दिन-ब-दिन आदमी के भीतर फैलती गई, जब तक कि मनुष्य पूरी तरह से बर्बाद नहीं हो गया। …सह-अपराधियों का यह गिरोह[2]! वे नश्वर भोग के सुख में लिप्त होने और विकार को फ़ैलाने के लिए मनुष्यों के बीच आते हैं। उनका उपद्रव दुनिया में अस्थिरता का कारण बनता है और मनुष्य के दिल में आतंक ले आता है, और उन्होंने मनुष्य को विकृत कर दिया है ताकि मनुष्य असहनीय कुरूपता वाले जानवरों के समान दिखे, मूल पवित्र व्यक्ति की थोड़ी-सी भी पहचान रखे बिना" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "कार्य और प्रवेश (7)")। परमेश्वर के इन वचनों से, मैं समझ गई कि आरंभ में जिस मानवजाति की परमेश्वर ने रचना की थी वह मूल रूप से परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी थी, वे उसकी पूजा करते थे, उनके पास सामान्य मानवता का विवेक और तर्क था, और उन्हें दूषित नहीं किया गया था, न ही उन्होंने कोई बुराई की थी। मानवजाति को शैतान द्वारा भ्रष्ट किए जाने के बाद, पाप मनुष्य का स्थायी साथी बनना शुरू हो गया। कई हजार सालों से, शैतान ने लगातार मनुष्य को परेशान और भ्रष्ट किया है। यह मनुष्य में प्रतिक्रियावादी विचार और सिद्धांत बिठा देता है, ताकि मनुष्य उसके ज़हर पर भरोसा करके जीए, जिसके परिणामस्वरूप मानवजाति पहले से भी अधिक भ्रष्ट और ख़राब बनती जाएगी, और यह दुनिया पहले से भी अधिक अंधकारमय और बुरी बनती जाएगी। "दूसरे का गला काटे बिना सफलता नहीं मिलती," "सुबह जल्दी क्यों उठना यदि मेरे लिए इसमें कुछ नहीं है?" "कंजूसी का प्रतिदान मृत्यु है," "जैसे एक छोटे मन से कोई सज्जन व्यक्ति नहीं बनता है, वैसे ही वास्तविक मनुष्य विष के बिना नहीं होता है," "जिंदगी छोटी है, इसलिए मजे करो," "कभी भी कोई उद्धारकर्ता नहीं हुआ है" और "पृथ्वी पर किसी भी तरह का कोई भी परमेश्वर नहीं है" जैसे वाक्यांश सभी ज़हर हैं जो शैतान द्वारा मनुष्य के मन में बिठाए गए हैं। ये बातें लोगों की जिंदगियाँ बन जाती हैं और उनकी जिंदगी के नियम बन जाती हैं, जिसकी वजह से कोई भी फिर परमेश्वर की मौजूदगी में अब और विश्वास नहीं करता है, कोई भी स्वर्ग की अब और पूजा नहीं करता है, और कोई भी तर्क या अपने विवेक की अब और नहीं सुनता है। मनुष्य के दिल में परमेश्वर के लिए अब और कोई जगह नहीं है, परमेश्वर से आने वाले कानूनों और नियमों का अब और कोई प्रतिबंध नहीं है। सभी मनुष्य शैतान द्वारा विषाक्त और नियंत्रित कर लिए गए हैं, जिसकी वजह से मनुष्य पहले से भी अधिक विश्वासघाती, स्वार्थी, तिरस्करणीय, लालची, अहंकारी, पहले से अधिक बुरे और लंपट, असंयमी, पहले से भी अधिक स्वेच्छाचारी, अधर्मी और विकृत हो गए हैं। वे विवेक, नैतिकता, मानवीय प्रकृति से विहीन, और एक ऐसे मनुष्य के दानवीय मूर्तरूप बन गए हैं जहाँ द्वेष दूसरी प्रकृति के रूप में आता है। विशेष रूप से, "दूसरे का गला काटे बिना सफलता नहीं मिलती" एक घातक ज़हर है जो कि शैतान मनुष्य में रोपित करता है, और यह मेरे चाचाओं/मामाओं के साथ सर्वाधिक स्पष्ट था। मनुष्य किसी भी अन्य चीज के ऊपर अपना फायदा रखते हुए, "सुबह जल्दी क्यों उठना जब मेरे लिए इसमें कुछ नहीं है?" के बारे में सोचते हुए, केवल अपने खुद के हित के लिए ही जीता है। ज्यादा और बड़े लाभ प्राप्त करने के लिए, मनुष्य कोई भी बुरी या पापी चीज़ कर सकता है, कोई भी बेशर्म, तिरस्करणीय या अधम संदेहपूर्ण सौदा कर सकता है। लोगों के बीच कोई सच्चा प्यार या स्नेह नहीं है—यह सब एक-दूसरे से धोखा देना, एक-दूसरे का उपयोग करना और एक-दूसरे को नुकसान पहुँचाना है। एक ही परिवार के सदस्य धन और लाभ के लिए एक-दूसरे से लड़ते हुए, एक-दूसरे के साथ झगड़ सकते हैं और एक-दूसरे के दुश्मन बन सकते हैं। फिर इससे भी अधिक, लाभ के वास्ते संबंध और मित्र सभी नैतिक सिद्धांतों को भूल जाते हैं; वे मानव दिखाई दे सकते हैं, लेकिन उनके पास पशुओं के दिल हैं। …मनुष्य इन बुरी चीज़ों को कर सकता है यह सब इसलिए है क्योंकि उन्हें शैतान के "दूसरे का गला काटे बिना सफलता नहीं मिलती" द्वारा विषाक्त कर दिया गया है, और वे उसके प्रभुत्व के भीतर हैं। यह देखा जा सकता है कि मनुष्य के बुरे कर्मों का स्रोत शैतान का ज़हर है, और कि यह इस दुनिया में अंधकार का स्रोत है।
उन कई घटनाओं में, जिनके बीच हम रहते हैं, हम दुनिया के अंधकार को सबसे आसानी से देख सकते हैं। हम यह कह सकते हैं कि जो लोग आजकल दुनिया के रुझानों की अगुआई करते हैं, वे सभी शैतान के मूर्तरूप हैं। विशेष रूप से, वे लोग जो सत्ता और अधिकार रखते हैं, वे शैतानों के राजकुमार हैं, और इनमें से एक बड़ा लाल अजगर सबसे अंधकारमय और सबसे बुरी शक्ति है। जब से बड़ा लाल अजगर सत्ता में आया है, तब से उसने मनुष्य को भ्रष्ट करने के अपने पूरे प्रयास के लिए अपने हाथ की शक्ति का उपयोग किया है, उन्हें भ्रष्ट कर दिया ताकि वे मानव रूप में शैतान बन जाएँ, ताकि मनुष्य, मनुष्य के समान न रहे। बड़ा लाल अजगर हिंसा का सम्मान करता है और विद्रोह की वकालत करता है। वह सत्ता हासिल करने के लिए हिंसा का उपयोग करता है और देश पर शासन करने के लिए हिंसा का उपयोग करता है। जो लोग इसके अधिकार क्षेत्र में रहते हैं वे भी हिंसा का आनंद लेते हैं और हर मुद्दे को हल करने के लिए लगातार बल का उपयोग करते हैं, अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़ पड़ते हैं। डकैतियों और हत्याओं के मामले पहले से कहीं ज्यादा हैं जो लोगों का खून खौला देते हैं, और जिन तरीकों से लोगों की हत्या की जाती है, वे भी पहले से अधिक क्रूर और कुत्सित हैं। ये सभी ऐसे तथ्य हैं जिन्हें सभी देख सकते हैं। यह बड़ा लाल अजगर "अर्थव्यवस्था का विकास" करने के लिए अपने लोगों का मार्गदर्शन करता है, और "जब तक बिल्ली चूहों को पकड़ती है तब तक इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वह सफेद है या काली," "गरीबी से घृणा करना, किन्तु वेश्यावृत्ति से नहीं," "पैसे से, तुम दानव से कुछ भी करवा सकते हो" "व्यक्ति पैसे के सिवाय किसी भी चीज के बिना रह सकता है" और "पैसा कुछ भी कर सकता है" जैसी कहावतों का सम्मान करता है। ऐसी चीजों की इसकी ताक़तवर वकालत के साथ, लोग पैसा और सत्ता का सम्मान करते हैं, जिस किसी के पास भी पैसा और सत्ता होती है वह समृद्ध हो सकता है, और जिस किसी के पास भी कोई पैसा और सत्ता नहीं होती है, उनका केवल दमन किया जा सकता है और वह सभी अन्यायों को सह सकता है, जिसके परिणामस्वरूप लोगों के दिल केवल पैसों से भरे हैं। पैसे के लिए, रिश्तेदारी के संबंध भुला दिए जाते हैं; धन और सत्ता के लिए वे रिश्वत ले और दे सकते हैं, अधिकारियों को खरीद और बेच सकते हैं, लोगों को लूट, धोखा दे, मार सकते हैं और उनकी संपत्तियों को हथिया सकते हैं, और एक-दूसरे से लड़कर उन्हें मार सकते हैं—ऐसा कहा जा सकता है कि वे किसी भी जरूरी तरीके का उपयोग करेंगे। इसके अलावा, वेश्यावृत्ति आज के समाज में सर्वव्यापी है और हर जगह वेश्यावृत्ति और नशीले पदार्थों की जगहों को देखा जा सकता है। यौन रिश्वत और यौन लेन-देन प्रचलन में हैं और लोग बुराई के मुताबिक चलते हैं, बुराई का सम्मान करते हैं, ऐसा नहीं सोचते कि यह शर्मनाक है, बल्कि इसके बजाय सोचते हैं कि यह शानदार है। ये अर्थव्यवस्था के विकास करने के भी परिणाम हैं, जिससे लोगों के बीच के रिश्ते पैसों के रिश्ते बन गए हैं। बड़ा लाल अजगर लोगों की नैतिकता को भ्रष्ट करने और उन्हें विवेक शून्य बनाने के लिए इसका उपयोग करता है है। इसका अंधकारमय, सर्वाधिक प्रतिक्रियात्मक पहलू यह है कि बड़ा लाल अजगर यह स्वीकार नहीं करता है कि कोई परमेश्वर है, बल्कि इसके बजाय नास्तिकता को प्रसारित करता है ताकि लोग परमेश्वर से इनकार करें, उसकी संप्रभुता से इनकार करें, वास्तविक परमेश्वर को त्याग दें और शैतान की आराधना करें। जो लोग बड़े लाल अजगर के धोखे और दुष्प्रचार के भीतर रहते हैं, वे विश्वास नहीं करते हैं कि एक परमेश्वर है और वास्तविक परमेश्वर की आराधना नहीं करते हैं, बल्कि इसके बजाय शैतान का अनुसरण करते हैं, बुराई का सम्मान करते हैं, और धार्मिकता से हटा दिए जाते हैं जिसकी वजह से वे पहले से भी अधिक भ्रष्ट और दुष्ट हो जाते हैं।… अब मैं और अधिक स्पष्ट रूप से देख सकती हूँ कि बड़े लाल अजगर के इस "प्रतिमान" की वजह से, मनुष्य इतना भ्रष्ट और बुरा बन गया, कि उसमें कोई विवेक, कोई मानवता नहीं रह गई। इस समस्त विनाश की जड़ पूरी तरह से बड़े लाल अजगर में निहित हैं। वह कुटिल-अपराधी जिसने मनुष्य के दिलों में बुराई पैदा की, जो आज समाज में भ्रष्ट नैतिकता और दुनिया की अस्थिरता है, वह बड़ा लाल अजगर है; कि बड़े लाल अजगर ने सत्ता सँभाली यही दुनिया के समस्त अंधकार और बुराई का मूल कारण है। यदि बड़े लाल अजगर ने बस एक दिन के लिए ही सत्ता सँभाली होती, अगर शैतान का एक दिन सर्वनाश नहीं किया जाता, तो मानवजाति प्रकाश में नहीं रह पाती और दुनिया कभी भी शांति को नहीं जान पाती।
बड़े लाल अजगर के अंधकार और बुराई को देखने और यह देखने के बाद कि यह लोगों को कैसे भ्रष्ट करता और पैर के नीचे रौंदता है, मैं मसीह की पवित्रता और सुंदरता को और अधिक महसूस करती हूँ। अंधकारमय दुनिया में महीस ही एकमात्र प्रकाश है, केवल मसीह ही मानवजाति को बचा और इस अंधकारमय और बुरी जगह से अलग होने में उसकी सहायता कर सकता है, और जब मसीह सत्ता लेगा, केवल तभी मानवजाति के लिए रोशनी लायी जाएगी। क्योंकि केवल परमेश्वर का ही ऐसा सार है जो सुंदर और अच्छा है, केवल परमेश्वर ही धार्मिकता और प्रकाश का मूल है, परमेश्वर ही एकमात्र प्रतीक है जिसे सभी अंधकार और बुराई से पराजित या उल्लंघन नहीं किया जा सकता है, केवल परमेश्वर ही पूरी दुनिया के पुराने चेहरे को बदल सकता है और पृथ्वी पर प्रकाश ला सकता है, और केवल परमेश्वर ही मानवजाति को अद्भुत गंतव्य तक ले जा सकता है। परमेश्वर के अलावा, इस कार्य को कोई भी नहीं कर सकता है और कोई भी शैतान को हरा या उसका सर्वनाश नहीं कर सकता है। ठीक जैसा कि परमेश्वर के वचनों में कहा गया है: "दुनिया के विशाल विस्तार में, अनगिनत परिवर्तन हो चुके हैं, बार-बार महासागर गाद भरने से मैदानों बदल रहे हैं, खेत बाढ़ से महासागरों में बदल रहे हैं। सिवाय उसके जो ब्रह्मांड में सभी चीजों पर शासन करता है, कोई भी इस मानव जाति की अगुआई और मार्गदर्शन करने में समर्थ नहीं है। इस मानवजाति के लिए श्रम करने या उसके लिए तैयारी करने वाला कोई भी शक्तिशाली नहीं है, और ऐसा तो कोई है ही नहीं जो इस मानवजाति को प्रकाश की मंजिल की ओर ले जा सके और इसे सांसारिक अन्यायों से मुक्त कर सके" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है")। "मैं मानवीय संसार के इन अन्यायों को सही करूँगा। मैं अपने लोगों को फिर से नुकसान पहुँचाने से शैतान को रोकते हुए, शत्रु को पुनः जो चाहे वह करने से रोकते हुए, पूरे संसार में अपने स्वयं के हाथों से अपना कार्य करूँगा। मैं अपने सभी शत्रुओं को ज़मीन पर गिराते हुए और अपने सामने उनसे उनके अपराधों को अंगीकार करवाते हुए, पृथ्वी पर राजा बन जाऊँगा और वहाँ अपना सिंहासन ले जाऊँगा" (वचन देह में प्रकट होता है में आरम्भ में मसीह के कथन के "अध्याय 27")। मैंने परमेश्वर के वचनों में उसकी सर्वशक्तिमत्ता और उसके अधिकार को देखा, देखा कि केवल परमेश्वर ही हमें बचा सकता है जो बड़े लाल अजगर के अधिकार क्षेत्र में रहते हैं और जिन्हें इसके द्वारा अपने कदमों तले बहुत रौंदा गया है। इस वजह से मेरा दिल और भी अधिक लालायित हो गया कि मसीह सत्ता प्राप्त कर ले, और जल्द ही बड़ा लाल अजगर शीघ्र ही अपने अंत तक पहुँच जाए।
मैं परमेश्वर के वचनों की प्रबुद्धता को धन्यवाद देती जिसने मुझे दुनिया में अंधकार और बुराई के स्रोत देखने दिया, जिस वजह से मेरे दिल में बड़े लाल अजगर के लिए सच में घृणा पैदा हो गई, और जिसने मुझे यह समझने दिया कि इस अंधकारमय जगह से बाहर निकलने, प्रकाश में प्रवेश करने के लिए केवल मसीह ही मनुष्य की अगुआई कर सकता है। केवल मसीह का अनुसरण करके और मसीह की आराधना करके ही मनुष्य शैतान के दुःख से दूर हो सकता है। आज से, मैं सत्य की खोज करने और मसीह की अगुआई का अनुसरण करने, परमेश्वर के वचनों को स्वीकार करने और उसे अपना जीवन बनाने, बड़े लाल अजगर के सभी जहरों से स्वयं का पीछे छुड़ाने, बड़े लाल अजगर के प्रभाव के नियंत्रण से बाहर आने, बड़े लाल अजगर के खिलाफ पूरी तरह से विद्रोह करने, और परमेश्वर के उद्धार तक पहुँचने और परमेश्वर द्वारा सिद्ध बनाए जाने की इच्छा रखती हूँ।
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