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मंगलवार, 14 मई 2019

जो सत्य नहीं स्वीकारते वे उद्धार के लायक नहीं हैं



  • परमेश्वर के वचनों का एक भजन
  • जो सत्य नहीं स्वीकारते वे उद्धार के लायक नहीं हैं
  •  
  • I
  • सत्य और जीवन के वचनों को सुनते हुए,
  • शायद तुम सोचो कि इन हजारों वचनों में से,
  • बाइबल और तुम्हारे विचारों से,
  • बस एक ही वचन मेल खाता है,
  • इस दस हजारवें वचन में खोजते रहो।
  • परमेश्वर सलाह देता है,
  • विनम्र बनो, न बनो अति-आत्मविश्वासी
  • स्वयं को ऊँचा न उठाओ।
  • जो तुम साफ़ कहे गये सत्य को स्वीकार न कर पाओ
  • तो क्या तुम परमेश्वर के उद्धार के अयोग्य नहीं?
  • परमेश्वर के सिंहासन के आगे लौट न पाओ,
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • II
  • परमेश्वर के प्रति ऐसी थोड़ी सी श्रद्धा रख कर भी,
  • तुम पाओगे रोशनी बड़ी, रोशनी बड़ी।
  • जो इन वचनों पर मनन करोगे,
  • तुम देख पाओगे कि ये सत्य और जीवन हैं या नहीं।
  • अंत के दिनों में झूठे मसीहाओं के कारण
  • आँखें मूंदे परमेश्वर के वचनों की निंदा न करो।
  • कहीं भटक न जाओ इस डर से,
  • पवित्रात्मा की ईशनिंदा न करो।
  • III
  • बहुत खोजने और जाँचने के बाद भी,
  • अगर लगता है तुम्हें अभी भी
  • कि ये वचन परमेश्वर की अभिव्यक्ति,
  • या सत्य और जीवन नहीं,
  • तो रहोगे तुम बिन आशीष के,
  • दंडित किये जाओगे निश्चय ही, निश्चय ही।
  • जो तुम साफ़ कहे गये सत्य को स्वीकार न कर पाओ
  • तो क्या तुम परमेश्वर के उद्धार के अयोग्य नहीं?
  • परमेश्वर के सिंहासन के आगे लौट न पाओ,
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से
अनुशंसित:परमेश्वर के भजन

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