- परमेश्वर के वचनों का एक भजन
- जो सत्य नहीं स्वीकारते वे उद्धार के लायक नहीं हैं
- I
- सत्य और जीवन के वचनों को सुनते हुए,
- शायद तुम सोचो कि इन हजारों वचनों में से,
- बाइबल और तुम्हारे विचारों से,
- बस एक ही वचन मेल खाता है,
- इस दस हजारवें वचन में खोजते रहो।
- परमेश्वर सलाह देता है,
- विनम्र बनो, न बनो अति-आत्मविश्वासी
- स्वयं को ऊँचा न उठाओ।
- जो तुम साफ़ कहे गये सत्य को स्वीकार न कर पाओ
- तो क्या तुम परमेश्वर के उद्धार के अयोग्य नहीं?
- परमेश्वर के सिंहासन के आगे लौट न पाओ,
- क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
- क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
- II
- परमेश्वर के प्रति ऐसी थोड़ी सी श्रद्धा रख कर भी,
- तुम पाओगे रोशनी बड़ी, रोशनी बड़ी।
- जो इन वचनों पर मनन करोगे,
- तुम देख पाओगे कि ये सत्य और जीवन हैं या नहीं।
- अंत के दिनों में झूठे मसीहाओं के कारण
- आँखें मूंदे परमेश्वर के वचनों की निंदा न करो।
- कहीं भटक न जाओ इस डर से,
- पवित्रात्मा की ईशनिंदा न करो।
- III
- बहुत खोजने और जाँचने के बाद भी,
- अगर लगता है तुम्हें अभी भी
- कि ये वचन परमेश्वर की अभिव्यक्ति,
- या सत्य और जीवन नहीं,
- तो रहोगे तुम बिन आशीष के,
- दंडित किये जाओगे निश्चय ही, निश्चय ही।
- जो तुम साफ़ कहे गये सत्य को स्वीकार न कर पाओ
- तो क्या तुम परमेश्वर के उद्धार के अयोग्य नहीं?
- परमेश्वर के सिंहासन के आगे लौट न पाओ,
- क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
- क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
- क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
- "वचन देह में प्रकट होता है" से
अनुशंसित:परमेश्वर के भजन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें