Hindi Christian Movie | इंसान का आचरण | Only the Honest Are Truly Good People (Hindi Dubbed)
बचपन से ही चेंग जियांगगुआंग के माता-पिता और अध्यापकों ने उसे सिखाया था "मिल-जुलकर रहना पूँजी है, सहनशीलता एक सदगुण है," "अच्छे दोस्तों के दोषों पर चुप रहने से दोस्ती अच्छी और लम्बी चलती है," "गलत होते देखकर भी ज़बान बंद रखो।" जैसी बातों का पालन करने से लोगों के साथ संबंध मधुर बने रहते हैं। उसने इन बातों को गांठ बांध लिया कि कभी किसी को अपने कामों या बातों से नाराज़ नहीं करना है, और हमेशा लोगों से अपने रिश्ते बनाए रखने का ख़्याल करना है, और अपने आस-पास के लोगों में एक "अच्छे इंसान" की छवि बनाये रखनी है। जब चेंग जियांगगुआंग अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कर लेता है तो उसे परमेश्वर के वचन से पता चलता है कि सिर्फ सत्य का पालन करके और एक सच्चा इंसान बनकर ही व्यक्ति परमेश्वर की स्वीकृति और उनका उद्धार प्राप्त कर सकता है, इसलिए वह एक सच्चा इंसान बनने की शपथ लेता है। लेकिन अपने दायित्वों को पूरा करने में उसे अपने दूषित स्वभाव का दबाव महसूस होता है और वह खुद को जीवन के शैतानी सिद्धांतों के अनुसार काम करने से नहीं रोक पाता: जब चेंग जियांगगुआंग को पता चलता है कि एक कलीसिया अगुवा सत्य के अनुसार कार्य नहीं कर रहा है, जिसका असर कलीसिया के कामकाज पर पड़ रहा है तो वह उस अगुवा के साथ अपने संबंधों को बचाए रखने का निर्णय लेता है और मामले को तुरंत नहीं उठाता; जब एक सिस्टर उसके पास अपनी एक समस्या लेकर आती है जिसमें उसे कलीसिया के हितों की रक्षा करने के लिए उसके पक्ष में खडा होना था। चेंग जियांगगुआंग ऐसा करने की बजाय, झूठ और धोखे का सहारा लेता है और अपनी ज़िम्मेदारियों से भाग खड़ा होता है, क्योंकि उसे डर था कि ऐसा करने से दूसरे लोग नाराज़ हो जाएंगे। नतीजा यह होता है कि उस सिस्टर को चीनी कम्युनिस्ट सरकार गिरफ्तार कर लेती है... क्योंकि बार-बार सच सामने आने से, परमेश्वर के वचनों में उसका न्याय होता है और वह बेनकाब हो जाता है, तो चेंग जियांगगुआंग की समझ में आता है कि वह जिस तर्क और नियमों के अनुसार चल रहा था, वे शैतानी विष हैं और वह शैतानी स्वभाव के अनुसार जी रहा था। उसे यह भी समझ में आता है कि जी-हुज़ूरी करने वाला इंसान कपटी होता है, ऐसे इंसानों से परमेश्वर नफरत करते हैं, और यदि जी-हुज़ूरी करने वाला व्यक्ति पश्चाताप नहीं करता है और खुद को नहीं बदलता है तो परमेश्वर उसे निश्चित रूप से अस्वीकार करके हटा देते हैं। उसे यह भी समझ में आता है कि वह एक सच्चा व्यक्ति बनकर ही अच्छा इंसान बन सकता है। इसलिए वह सत्य का अनुसरण करने और सच्चा इंसान बनने की कोशिश करता है और परमेश्वर के वचन के मार्गदर्शन में, वह आखिरकार एक सच्चे इंसान का जीवन जीने और परमेश्वर का उद्धार पाने के मार्ग पर चलने में सफल होता है।
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