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शनिवार, 11 अगस्त 2018

प्रार्थना का महत्व

मसीही गीत, प्रार्थना, परमेश्वर को जानना

  • प्रार्थना का महत्व 

  • I
  • प्रार्थनाएँ वह मार्ग होती हैं जो जोड़ें मानव को परमेश्वर से,
  • जिससे वह पुकारे पवित्र आत्मा को
  • और प्राप्त करे स्पर्श परमेश्वर का।
  • जितनी करोगे प्रार्थना, उतना ही स्पर्श पाओगे,
  • प्रबुद्ध होगे और मन में शक्ति आएगी।
  • ऐसे ही लोगों को मिल सकती है पूर्णता शीघ्र ही,
  • शीघ्र ही, शीघ्र ही, शीघ्र ही।
  • II
  • तो जो ना करे प्रार्थना वह है जैसे मृत बिना आत्मा के।
  • ना मिले स्पर्श परमेश्वर का,
  • ना कर सके अनुपालन परमेश्वर के कार्यों के।
  • जो नहीं करोगे प्रार्थना तो छूट जाएगा सामान्य आत्मिक जीवन,
  • नहीं पाओगे परमेश्वर का साथ; वो तुमको अपनाएगा नहीं,
  • वो तुमको अपनाएगा नहीं।
  • जितनी करोगे प्रार्थना, उतना ही स्पर्श पाओगे,
  • प्रबुद्ध होगे और मन में शक्ति आएगी।
  • ऐसे ही लोगों को मिल सकती है पूर्णता शीघ्र ही,
  • ऐसे ही लोगों को मिल सकती है पूर्णता शीघ्र ही,
  • शीघ्र ही, शीघ्र ही, शीघ्र ही, शीघ्र ही।
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से

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