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गुरुवार, 16 अगस्त 2018

देहधारी परमेश्वर में दिव्यता का सार होना चाहिए

देहधारी परमेश्वर में दिव्यता का सार होना चाहिए

I

परमेश्वर के आत्मा का देह, ख़ुद परमेश्वर का देह है,
सर्वशक्तिमान, सर्वोच्च, पवित्र और धर्मी, उसके आत्मा के समान।
ऐसा देह वही करेगा जो धर्मी है, इंसान के लिये अच्छा है,
जो पवित्र है, महान है, महिमामय है।

II

परमेश्वर का देह नहीं जा सकता, सत्य और न्याय के ख़िलाफ।
वो परमेश्वर के आत्मा को कभी दग़ा ना देगा।
परमेश्वर का देह मुक्त है शैतान के दूषण से।
ये देह अलग है इंसान की नश्वर देह से।
परमेश्वर के आत्मा का देह, ख़ुद परमेश्वर का देह है,
सर्वशक्तिमान, सर्वोच्च, पवित्र और धर्मी, उसके आत्मा के समान।
ऐसा देह वही करेगा जो धर्मी है, इंसान के लिये अच्छा है,
जो पवित्र है, महान है, महिमामय है।

III

मसीह और इंसान भले ही साथ-साथ रहते हैं,
शैतान सिर्फ़ इंसान को ही फंसा सकता है,
इस्तेमाल कर सकता है, अपने अधीन कर सकता है।
मगर मसीह के साथ वो ऐसा कभी ना कर पाएगा।
शैतान ना तो ऊंचाई पर पहुँच सकता है,
ना परमेश्वर के करीब जा सकता है।
परमेश्वर को दग़ा देना, सिर्फ़ इंसान की फितरत है,
इससे मसीह का, नहीं है कोई लेना-देना,
नहीं है कोई, नहीं है कोई लेना-देना।
परमेश्वर के आत्मा का देह, ख़ुद परमेश्वर का देह है,
सर्वशक्तिमान, सर्वोच्च, पवित्र और धर्मी, उसके आत्मा के समान।
ऐसा देह वही करेगा जो धर्मी है, इंसान के लिये अच्छा है,
जो पवित्र है, महान है, महिमामय है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से

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