Hindi Christian Song | ईश्वर का प्रेम मानव के लिए कितना महत्त्वपूर्ण है | The Meticulous Love of God
- I
- ये छवि है बाइबिल में बयानी, आदम को आज्ञा प्रभु की,
- जो है करुण-और-रूमानी,
- जबकि इस तस्वीर में है, केवल प्रभु और इंसान,
- दोनों में है जो रिश्ता वो, है इतना करीब कि,
- हमको होता है अचरज, हम ताज्जुब और हैरान।
- II
- प्रभु के प्रेम का प्लावन, मानव के लिए बिन-बंधन,
- प्रभु-प्रेम उसके चारों ओर,
- मानव पावन और निर्दोष,
- उसे बंधन में, बिन बांधे ही,
- रखे प्रभु आनंद विभोर।
- ईश्वर ही उसका पालक है, और वह है छत्रछाया में उनकी,
- उसके सारे कर्म और उसकी वाणी,
- ईश्वर से हैँ जुड़े, होंगे ना जुदा।
- III
- पहले ही पलछिन से, परमपिता ने सरजा, हम मानव को,
- उन्हें प्रभु ने रखा संभाल,
- कैसा वो शरण, है कैसा साथ?
- है रक्षा का भार उन्हीं पर, और देखना इंसानों को
- करते हैं उम्मीद कि मानव, माने बस उनकी आज्ञा को
- यह थी आशा प्रभु की, थी हम इंसानों से।
- IV
- यह आशा लेकर,
- परमपिता ने फरमाया:
- "हर पेड़ के इस उपवन के, तुम फल खा लेना,
- पर नेकी-बदी के ज्ञान के, वृक्ष से, वृक्ष से,
- फल मत खाना कभी,
- अगर कभी जो खाया तो, खो दोगे तुम प्राण तुम्हारे।"
- सरल ये बातें, प्रभु के इच्छा की,
- दिखलाती हैं, कि मानव का ध्यान, उनके दिल में था पहले ही।
- V
- इन बातों में तमाम,
- प्रभु की मर्ज़ी है,
- क्या उनके दिल में है प्यार?
- क्या नहीं है लगाव और दुलार?
- प्यार और दुलार प्रभु का ऐसा है, जिसे समझे और महसूस
- करे यदि, आप में विवेक हैं और मानवता भी,
- तुम्हें लगेगा सुखकर, स्नेह-पोषित और
- महसूस तुम करोगे खुद को आनंद और धन्य।
- VI
- जब तुम्हें हो ये महसूस,
- कैसे करोगे तुम इश्वर से बर्ताव?
- क्या लगोगे गले?
- क्या श्रद्धामय प्रेम, क्या श्रद्धामय प्रेम नहीं जागेगा दिल में?
- क्या खिंचेगा दिल उसकी जानिब?
- इससे हम पाते है कितना ज़रूरी, प्रभु का स्नेह है
- पर इससे भी ज्यादा है ये ज़रूरी
- कि इंसाँ महसूस करे, समझे प्रभु का प्यार।
- "वचन देह में प्रकट होता है से आगे जारी" से
- अनुशंसित:परमेश्वर स्वयं के लिए इंसान की सच्ची आस्था और प्रेम पाने की करता है आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें