सच्ची प्रार्थना में प्रवेश कैसे किया जाता है
I
प्रार्थना के दौरान तुम्हारा दिल, ईश्वर के समक्ष, होना चाहिए शांत,
और तुम्हारा दिल होना चाहिए खरा।
जब ईश्वर से प्रार्थना करो उससे करो वार्तालाप।
परमेश्वर के समक्ष तुम्हारा दिल ख़ामोशी से रहेगा।
और तुम्हारे लिए निर्धारित वातावरण में,
तुम खुद को जानोगे और नफरत करोगे।
तुम खुद से नफरत करोगे, खुद को त्यागोगे,
ताकि तुम ईश्वर से सामान्य संबंध बना सको,
और बन जाओ वो व्यक्ति जो दिल से परमेश्वर से प्रेम करे,
परमेश्वर से प्रेम करे,
बन जाओ वो व्यक्ति जो दिल से परमेश्वर से प्रेम करे।
II
प्रार्थना केंद्रित है उसपे जिसे आज ईश्वर करेगा ख़त्म
मांगो अधिक से अधिक रौशनी,
ईश्वर के समक्ष अपनी स्थिति और आफ़तों को लाओ
और अपने संकल्प को उसे बताओ।
परमेश्वर के समक्ष तुम्हारा दिल ख़ामोशी से रहेगा।
और तुम्हारे लिए निर्धारित वातावरण में,
तुम खुद को जानोगे और नफरत करोगे।
तुम खुद से नफरत करोगे, खुद को त्यागोगे,
ताकि तुम ईश्वर से सामान्य संबंध बना सको,
और बन जाओ वो व्यक्ति जो दिल से परमेश्वर से प्रेम करे,
परमेश्वर से प्रेम करे,
बन जाओ वो व्यक्ति जो दिल से परमेश्वर से प्रेम करे।
III
प्रार्थना किसी प्रक्रिया को अनुसरण करना नहीं
है पर सच्चाई से ईश्वर को खोजना है।
प्रार्थना करो वो करे दिल की सुरक्षा।
अपने दिल की सुरक्षा मांगो ईश्वर से।
परमेश्वर के समक्ष तुम्हारा दिल ख़ामोशी से रहेगा।
और तुम्हारे लिए निर्धारित वातावरण में,
तुम खुद को जानोगे और नफरत करोगे।
तुम खुद से नफरत करोगे, खुद को त्यागोगे,
ताकि तुम ईश्वर से सामान्य संबंध बना सको,
और बन जाओ वो व्यक्ति जो दिल से परमेश्वर से प्रेम करे,
परमेश्वर से प्रेम करे,
बन जाओ वो व्यक्ति जो दिल से परमेश्वर से प्रेम करे।
"वचन देह में प्रकट होता है" से
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