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बुधवार, 3 अप्रैल 2019

प्रश्न 1: प्रभु का वादा है कि वे फिर से हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए आएंगे, और फिर भी आप कहते हैं कि प्रभु अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए पहले ही देहधारी हो चुके हैं। बाइबल साफ तौर पर यह भविष्यवाणी करती है कि प्रभु सामर्थ्य और महान महिमा के साथ बादलों पर देहधारी होंगे। यह उस बात से काफ़ी अलग है जिसकी आपने गवाही दी थी, कि प्रभु पहले ही देहधारण कर चुके हैं और गुप्त रूप से लोगों के बीच देहधारी हो चुके हैं।

उत्तर: आपका कहना है कि प्रभु ने इंसान से वादा किया था कि वे फिर से लोगों को स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए आएंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है, क्योंकि प्रभु भरोसेमंद हैं, वे अपने वादों को बेशक पूरा करेंगे। मगर पहले हमें यह स्पष्ट करना होगा कि अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए प्रभु का पुनः देहधारी रूप में आने का इस बात से सीधा संबंध है कि हम कैसे स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण करेंगे। अगर हम बाइबल का बारीकी से अध्ययन करें, तो इसका प्रमाण ढूंढना मुश्किल नहीं है। बाइबल के कई अलग-अलग अंशों में, साफ तौर पर यह भविष्यवाणी की गयी है कि दूसरी बार परमेश्वर का अवतरण होगा। उदाहरण के लिए: "तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (लूका 12:40)। "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। इन सारी भविष्यवाणियों में "मनुष्य के पुत्र" या "मनुष्य के पुत्र के आगमन" की बात कही गयी है। "मनुष्य का पुत्र" का मतलब वह है जो कि एक मनुष्य से पैदा हुआ है और जिसमें सामान्य मानवता के गुण हैं। आत्मा को मनुष्य का पुत्र नहीं कहा जा सकता है। उदाहरण के लिए, क्योंकि यहोवा परमेश्वर एक आत्मा हैं, उन्हें "मनुष्य का पुत्र" नहीं कहा जा सकता। कुछ लोगों ने दूतों को देखा है, दूत भी आत्मिक स्वरूप हैं, इसलिए उन्हें मनुष्य का पुत्र नहीं कहा जा सकता है। वह सब कुछ जो मनुष्य की तरह दिखता है मगर आत्मिक स्वरूपों से मिलकर बना है, उसे "मनुष्य का पुत्र" नहीं कहा जा सकता है। देहधारी प्रभु यीशु को "मनुष्य का पुत्र" और "मसीह" कहा गया क्योंकि वे परमेश्वर की आत्मा के देहधारी रूप थे और इसलिए एक साधारण और आम आदमी बने जो अन्य लोगों के साथ मिलकर रहते थे। इसलिए जब प्रभु यीशु ने "मनुष्य का पुत्र" और "मनुष्य के पुत्र के आगमन" की बात कही, वे अंत के दिनों में देहधारी रूप में परमेश्वर के आगमन की बात कह रहे थे। ख़ास तौर पर जब उन्होंने कहा, "परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।" यह कहीं अधिक स्पष्ट रूप से इस बात को प्रमाणित करता है कि जब प्रभु फिर से आएंगे, तो वे देहधारी रूप में ही आएंगे। अगर वे देहधारी रूप में नहीं बल्कि आत्मिक स्वरूप में आते हैं, तो वे निश्चित रूप से किसी पीड़ा का अनुभव नहीं कर पाएंगे और निश्चित रूप से इस पीढ़ी द्वारा अस्वीकृत नहीं किए जाएंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसलिए, प्रभु यीशु का वापस आना निस्संदेह देहधारी रूप में है और वे अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए आएंगे।
कई लोग पूछते हैं: क्या प्रभु ने यह वादा नहीं किया था कि वे हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए फिर से आएंगे? जब वे आएंगे, तब उन्हें क्यों अभी भी परमेश्वर के घर से शुरू करते हुए न्याय का कार्य कने की जरूरत होगी? वास्तव में, प्रभु न्याय का कार्य विजेता बनाने के लिए, यानी संतों के स्वर्गारोहण के लिए करते हैं। अगर हम देखें तो बाइबल में यह समझाने के लिए बहुत सारे प्रमाण हैं कि जब प्रभु अंत के दिनों में आएंगे, तो वे क्यों न्याय का कार्य अवश्य करेंगे। यह भविष्यवाणी कि परमेश्वर अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए फिर से आएंगे, इसका जिक्र बाइबल में किसी भी अन्य बात से अधिक बार हुआ है, ऐसे कम से कम 200 से अधिक उदाहरण हैं, और कई ऐसे ग्रंथ हैं जो न्याय का कार्य करने के लिए परमेश्वर के अवतरण की भविष्‍यवाणी करते हैं। उदाहरण के लिए, "वह जाति जाति का न्याय करेगा, और देश देश के लोगों के झगड़ों को मिटाएगा" (यशायाह 2:4)। "क्योंकि वह पृथ्वी का न्याय करने को आनेवाला है। वह धर्म से जगत का, और सच्‍चाई से देश देश के लोगों का न्याय करेगा" (भजन संहिता 98:9)। "उसने बड़े शब्द से कहा, परमेश्‍वर से डरो, और उसकी महिमा करो, क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है" (प्रकाशितवाक्य 14:7)। "क्योंकि उसने एक दिन ठहराया है, जिसमें वह उस मनुष्य के द्वारा धार्मिकता से जगत का न्याय करेगा, जिसे उसने ठहराया है" (प्रेरितों 17:31)। "वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिये कि वह मनुष्य का पुत्र है" (यूहन्ना 5:27)। "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन्ना 5:22)। "जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:48)। "क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों यू० घर का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)। इसके अलावा कई अन्य उदाहरण हैं। ये ग्रंथ हमें स्पष्ट रूप से यह जानने में मदद करते हैं कि परमेश्वर का अवतरण पक्के तौर पर अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए होगा।
अंत के दिनों में परमेश्वर का अवतरण मनुष्य को न्याय देने, शुद्ध करने और बचाने के उनके वचन की अभिव्यक्ति के माध्यम से काम करता है। वे सभी लोग जो वापस लौटे प्रभु यीशु की आवाज को सुन सकते हैं और उन्हें ढूंढ एवं स्वीकार कर सकते हैं, ऐसे बुद्धिमान कुंवारे हैं जो विवाह के भोज में उनके साथ जाएंगे। यह प्रभु यीशु की भविष्यवाणी को पूरा करता है: "आधी रात को धूम मची : 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो'" (मत्ती 25:6)। बुद्धिमान कुंवारे प्रभु की आवाज को सुनते हैं और उनका अभिवादन करने के लिए आते हैं; और तुरंत उन्हें प्रभु के द्वारा सिंहासन के सम्मुख स्वर्गारोहित कर दिया जाता है। वे अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय, शुद्धिकरण एवं पूर्णता को स्वीकार करते हैं और अंत में, परमेश्वर के वचनों से न्याय के जरिए, उनके भ्रष्ट स्वभाव को शुद्ध किया जाता है और उन्हें विजेता सिद्ध किया जाता है। जैसा कि आप देख सकते हैं, अगर हम उसे हासिल करना चाहते हैं जिसका प्रभु ने वादा किया है, हमें पहले अंत के दिनों के मसीहा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के समक्ष आना होगा, अंत के दिनों के परमेश्वर के न्याय और ताड़ना को स्वीकार और अनुभव करना होगा, ताकि हमें परमेश्वर के द्वारा शुद्ध और पूर्ण किया जा सके। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं, तो हम स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण के योग्य नहीं बनते हैं। आइए अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन के कुछ अवतरणों को पढ़ें। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "तुम सिर्फ यह जानते हो कि यीशु अन्तिम दिनों के दौरान आयेगा, परन्तु वास्तव में वह कैसे आयेगा? तुम जैसा पापी, जिसे बस अभी अभी छुड़ाया गया है, और परिवर्तित नहीं किया गया है, या परमेश्वर के द्वारा सिद् नहीं किया गया है, क्या तुम परमेश्वर के हृदय के अनुसार हो सकते हो? तुम्हारे लिए, तुम जो अभी भी पुराने मनुष्यत्व के हो, यह सत्य है कि तुम्हें यीशु के द्वारा बचाया गया था, और यह कि परमेश्वर के उद्धार के कारण तुम्हें एक पापी के रूप में नहीं गिना जाता है, परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि तुम पापपूर्ण नहीं हो, और अशुद्ध नहीं हो। यदि तुमने अपने आपको नहीं बदला है तो तुम संत के समान कैसे हो सकते हो? भीतर से, तुम अशुद्धता के द्वारा घिरे हुए हो, स्वार्थी एवं कुटिल हो, फिर भी तुम चाहते हो कि यीशु के साथ आओतुम्हें बहुत ही भाग्यशाली होना चाहिए! तुम परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास में एक चरण में चूक गए हो: तुम्हें महज छुड़ाया गया है, परन्तु परिवर्तित नहीं किया गया है। तुम्हें परमेश्वर के हृदय के अनुसार होने के लिए, परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से तुम्हें बदलने एवं शुद्ध करने के कार्य को करना होगा; यदि तुम्हें सिर्फ छुड़ाया गया है, तो तुम शुद्धता को हासिल करने में असमर्थ होगे। इस रीति से तुम परमेश्वर की अच्छी आशिषों में भागी होने के लिए अयोग्य होगे, क्योंकि तुमने मनुष्य का प्रबंध करने के परमेश्वर के कार्य के एक चरण को पाने का ससुअवसर खो दिया है, जो बदलने एवं सिद्ध करने का मुख्य चरण है। और इस प्रकार तुम, एक पापी जिसे बस अभी अभी छुड़ाया गया है, परमेश्वर की विरासत को सीधे तौर पर उत्तराधिकार के रूप में पाने में असमर्थ हैं" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "पद नामों एवं पहचान के सम्बन्ध में")। "अंतिम दिनों का मसीह जीवन लेकर आता, और सत्य का स्थायी एवं अनन्त मार्ग प्रदान करता है। इसी सत्य के मार्ग के द्वारा मनुष्य जीवन को प्राप्त करेगा, और एक मात्र इसी मार्ग से मनुष्य परमेश्वर को जानेगा और परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त करेगा। यदि तुम अंतिम दिनों के मसीह के द्वारा प्रदान किए गए जीवन के मार्ग को नहीं खोजते हो, तो तुम कभी भी यीशु के अनुमोदन को प्राप्त नहीं कर पाओगे और कभी भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य नहीं बन पाओगे क्योंकि तुम इतिहास के कठपुतली और कैदी दोनों हो" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है")। "जो मसीह के द्वारा कहे गए सत्य पर भरोसा किए बिना जीवन प्राप्त करने की अभिलाषा करते हैं, वे पृथ्वी पर सबसे हास्यास्पद मनुष्य हैं और जो मसीह के द्वारा लाए गए जीवन के मार्ग को स्वीकार नहीं करते हैं वे कल्पना में ही खोए हुए हैं। इसलिए मैं यह कहता हूं कि लोग जो अंतिम दिनों में मसीह को स्वीकार नहीं करते हैं वे हमेशा के लिए परमेश्वर के द्वारा तुच्छ समझे जाएंगे। अंतिम दिनों में मसीह मनुष्यों के लिए परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने का माध्यम है, जिसकी अवहेलना कोई भी नहीं कर सकता। मसीह के माध्यम बने बिना कोई भी परमेश्वर के द्वारा सिद्धता को प्राप्त नहीं कर सकता" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है")। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पहले से स्वर्ग के राज्य की ओर इशारा करते हैं। अंत के दिनों के मसीहा स्वर्ग के राज्य में प्रवेश का द्वार हैं। अगर मनुष्य अंत के दिनों के मसीहा के न्याय के कार्य को अनुभव नहीं करता है, तो उसे शुद्ध और परिपूर्ण नहीं किया जा सकता है, और वह कभी भी परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं करेगा। यह देहधारी परमेश्वर द्वारा दिया गया अधिकार है। इससे सिद्ध होता है कि दूसरी बार प्रभु के आगमन में, वे निश्चित रूप से अंत के दिनों में न्याय का कार्य करने के लिए देहधारण करेंगे। परमेश्वर पहले ही यह कार्य पूरा कर चुके हैं। अगर अभी भी ऐसे लोग हैं जो यह सोचते हैं कि वे अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य का अनुभव किए बिना स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहण कर सकते हैं, तो यह उनकी अवधारणाओं और मतिभ्रमों का एक लक्षण है, यह कभी भी फलीभूत नहीं होगा।
अगर प्रभु सही मायनों में देहधारी हुए तो फिर बाइबल के कई अंश यह कैसे कहते हैं कि वे बादलों से निकलकर आएंगे ताकि हम उन्हें देख सकें? आप लोग इसे कैसे समझाएंगे? आपका कहना है कि बाइबल में कई ऐसी भविष्यवाणियां हैं जो कहती हैं कि प्रभु अपने सामर्थ्य और महान प्रभुता के साथ बादलों पर देहधारी होंगे। यह सही है। मगर, बाइबल में कई ऐसे अवतरण भी हैं जो यह भविष्यवाणी करते हैं कि प्रभु गुप्त रूप से आएंगे। उदाहरण के लिए: "देख, मैं चोर के समान आता हूँ" (प्रकाशितवाक्य 16:15)। "क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा"(मत्ती 24:44)। "उस दिन या उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र; परन्तु केवल पिता"(मरकुस 13:32)। जैसा कि आप देख सकते हैं, प्रभु के वापस आने को लेकर दो रास्ते हैं: एक रास्ता खुले में है, और दूसरा गुप्त है। अंत के दिनों में देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर का न्याय का कार्य, जिसे हमने आज प्रमाणित किया है, वह सिर्फ गुप्त रूप में प्रभु के आगमन का कार्य है। क्योंकि परमेश्वर का देहधारण लोगों के बीच एक सामान्य, औसत व्यक्ति के रूप में हुआ है, मनुष्य के लिए, वे गुप्त रूप में प्रकट होते हैं, कोई नहीं कह सकता कि वे परमेश्वर हैं, कोई भी उनकी सही पहचान को नहीं जानता है। केवल तभी जब मनुष्य का पुत्र ऐसे काम करना और बोलना शुरू करता है जो उसकी आवाज को अलग कर सकता है, लोग उसे पहचानने लगते हैं। जो लोग उनकी आवाज को पहचानने में विफ़ल रहते हैं, यकीनन उनसे एक साधारण व्यक्ति के जैसा व्यवहार करते हैं, उनको नकारते और अस्वीकार कर देते हैं। ठीक उसी तरह जैसे प्रभु यीशु ने अपना कार्य करने के लिए देहधारी लिया था, वे बाहर से एक साधारण और आम आदमी जैसा दिखाई देते थे, इसलिए ज्यादातर लोगों ने उनको नकार दिया, उनका विरोध किया और उनकी निंदा की, जबकि कुछ लोग, प्रभु यीशु के वचन और कार्य के जरिए, उन्हें देहधारी मसीह, परमेश्वर के प्रकट स्वरूप में पहचान पाने में सक्षम थे। अब वह समय आ गया है जहाँ सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपना कार्य करने और मनुष्य को बचाने के लिए गुप्त रूप से आएंगे। वे अभी मनुष्य को न्याय देने, शुद्ध और पूर्ण करने के अपने वचन की अभिव्यक्ति में संलग्न हैं। इस समय, मनुष्य निश्चित रूप से प्रभु को बादलों के ऊपर आम जनता में प्रकट होने को नहीं देख पाएगा। ऐसा केवल विजेताओं का एक समूह तैयार होने और परमेश्वर के लोगों के बीच गुप्त अवतरण का कार्य पूरा होने के बाद ही होगा, जिस समय धरती पर आपदाएं दिखाई देने लगेंगी और परमेश्वर धरती के सभी देशों के सामने खुले तौर पर प्रकट होकर दुष्ट लोगों को दंडित तथा नेक लोगों को इनाम देंगे, इस समय, धरती पर प्रभु के सार्वजनिक अवतरण की भविष्यवाणियां पूरी हो जाएंगी, "तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्‍वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे" (मत्ती 24:30)। "देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे" (प्रकाशितवाक्य 1:7)। जब मनुष्य पूरी मानवता में सार्वजनिक तौर पर बादलों के ऊपर प्रभु के प्रकट होने को देखता है, सैद्धांतिक रूप में उसे अति-उत्साहित होना चाहिए, और फिर भी यहाँ कहा गया है "पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे" ऐसा क्यों? इसका कारण यह है कि जब परमेश्वर अंततः सार्वजनिक तौर पर प्रकट होंगे, लोगों के बीच उनके गुप्त अवतरण के दौरान परमेश्वर के उद्धार का कार्य पहले ही पूरा हो चुका होगा और परमेश्वर ने नेक लोगों को इनाम देने और दुष्टों को दंडित करने का अपना कार्य शुरू कर दिया होगा। इस समय, उन सभी लोगों के लिए, जिन्होंने परमेश्वर के गुप्त कार्य को नकार दिया था, बचाए जाने का मौक़ा पूरी तरह से ख़त्म हो गया होगा। जिन लोगों ने उन्हें कीलें चुभाई थीं, यानी जिन लोगों ने अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध और तिरस्कार किया था, क्यों नहीं वे निराशा में अपनी छाती पीटेंगे, क्यों नहीं वे विलाप करेंगे और अपने दांत पीसेंगे, यह जानकर कि उन लोगों ने जिसका विरोध और तिरस्कार किया था, वही प्रभु यीशु का दूसरा आगमन था? इसी तरह "पृथ्वी की सभी जनजातियों को अफ़सोस होगा" का दृश्य प्रकट होगा। आइए अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन के अन्य अवतरण को पढ़ें।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "कई लोग मैं क्या कहता हूँ इसकी परवाह नहीं करते हैं, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को बताना चाहता हूँ जो यीशु का अनुसरण करते हैं, कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते हुए अपनी आँखों से देखो, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते हुए देखोगे तो यही वह समय भी होगा जब तुम दण्ड दिए जाने के लिए नीचे नरक चले जाओगे। यह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति की घोषणा होगी, और यह तब होगा जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और दुष्ट को दण्ड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के संकेतों को देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब वहाँ सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति ही होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं तथा संकेतों की खोज नहीं करते हैं और इस प्रकार शुद्ध कर दिए जाते हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे ही जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि 'यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता है एक झूठा मसीह है' अनंत दण्ड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेतों को प्रदर्शित करता है, परन्तु उस यीशु को स्वीकार नहीं करते हैं जो गंभीर न्याय की घोषणा करता है और जीवन में सच्चे मार्ग को बताता है। और इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटें तो वह उसके साथ व्यवहार करें। …यीशु का लौटना उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, परन्तु उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं यह निंदा का एक संकेत है। तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए, और पवित्र आत्मा के विरोध में ईशनिंदा नहीं करनी चाहिए और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए, बल्कि ऐसा बनना चाहिए जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का पालन करता हो और सत्य की खोज करने के लिए लालायित हो; सिर्फ़ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे" ("वचन देह में प्रकट होता है" से "जब तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देख रहे होगे ऐसा तब होगा जब परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नये सिरे से बना चुका होगा")।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से हमने यह समझा है कि अंत के दिनों में देहधारी परमेश्वर के द्वारा लोगों के बीच अपने गुप्त अवतरण के दौरान किया गया कार्य परमेश्वर द्वारा मनुष्य की पूर्णता के कार्य का एक महत्वपूर्ण चरण है। परमेश्वर की छः-हजार वर्षों की प्रबंधन योजना में, यह कार्य मनुष्य को पूर्ण करने के लिए परमेश्वर के एक अत्यंत दुर्लभ अवसर को दर्शाता है। वे सभी लोग जो परमेश्वर के गुप्त कार्य को स्वीकार करते हैं और पूर्ण किये गए हैं, उन्हें परमेश्वर का विशेष अनुग्रह प्राप्त हुआ है और वे सबसे अधिक धन्य हैं। अगर हम इस अत्यंत दुर्लभ अवसर का लाभ नहीं उठाते हैं और विजेता बनाने के परमेश्वर के कार्य में चूक जाते हैं, तो हम केवल विलाप कर सकते हैं और अपने दांत पीस सकते हैं, गहरे अफ़सोस की टीस में रह सकते हैं।
"प्रभुत्व का रहस्य" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश
Source From :सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया-सुसमाचार -सम्बन्धित प्रश्नोत्तर

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